नर्सिंग अंतिम वर्ष के विद्यार्थी कोरोना ड्यूटी को लेकर परेशान

-विद्यार्थियों ने मुख्‍यमंत्री से लगायी गुहार,  पूछा, क्‍या मिलेगा मानदेय और कैसी मिलेगी सुरक्षा

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जीएनएम, पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग, बीएससी नर्सिंग व एमएससी नर्सिंग के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की पढ़ाई 15 मई से शुरू करने के निर्देशों तथा कोविड-19 में इनकी ड्यूटी लगने की खबर के बाद संबंधित नर्सिंग छात्रों में बेचैनी का माहौल है। कई विद्यार्थियों ने इस संबंध में अपनी गुहार प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी लगाई है।

इन विद्यार्थियों में किसी ने कोरोना महामारी काल में पढ़ाई के लिए 15 मई को कॉलेज खोलने पर ही एतराज जताया है, तो किसी ने ड्यूटी न लगाने की गुहार लगायी है, जबकि कुछ विद्यार्थियों का कहना है कि अगर ड्यूटी लगायी जाती है तो हमें मानदेय क्‍या मिलेगा। इन विद्यार्थियों ने कहा है कि अगर ड्यूटी के चलते उन्‍हें या उनके परिवार को संक्रमण हो गया तो क्‍या होगा।

एक विद्यार्थी ने कहा है कि लॉक डाउन होने की वजह से बहुत से छात्रों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है जिनके माता-पिता प्राइवेट जॉब करके छात्रों को पढ़ा रहे थे।  इस विद्यार्थी ने ट्वीट में लिखा है कि  नर्सिंग छात्रों को कोविड-19 के दौरान ड्यूटी करते समय सुरक्षा एवं मानदेय देने पर विचार विमर्श करने के कृपा करें। विद्यार्थी ने यह भी कहा है कि अगर छात्र संक्रमित होते हैं उन्हें कोई हानि होती है या उनके कारण उनके परिवार में संक्रमण फैलता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा क्योंकि उनका कोई हेल्थ इंश्योरेंस है और ना ही कोई मानदेय मिलता है।

एक अन्य विद्यार्थी ने लिखा है कि मुझे ज्ञात हुआ है कि प्रशासन द्वारा हम लोगों की क्लास न लेकर कोविड-19 में ड्यूटी लगाने का विचार किया जा रहा है। इस छात्र ने लिखा है कि हम छात्र हैं और हम अभी ऐसी ड्यूटी कैसे कर पाएंगे इसलिए हम लोगों की ड्यूटी ना लगाई जाए।

कुल मिलाकर विद्यार्थियों के बीच कोई स्थिति साफ न होने की वजह से कई बिंदुओं को लेकर उनके मन में प्रश्न उठ रहे हैं इस बारे में संजय गांधी पीजीआई की नर्सिंग एसोसिएशन की अध्यक्ष व ऑल इंडिया नर्सिंग फेडरेशन की एग्जीक्यूटिव मेम्बर सीमा शुक्ला का कहना है कि उनसे सरकारी व प्राइवेट कॉलेजों में पढ़ने वाले नर्सिंग विद्यार्थियों ने सम्‍पर्क किया है। उन्‍होंने कहा कि मेरा मानना है कि अंतिम वर्ष के नर्सिंग छात्रों की कोविड-19 जैसी महामारी में लगाना कहां तक उचित होगा, इस पर शासन को अच्‍छी तरह विचार कर लेना चाहिये। उन्‍होंने कहा कि माना कि यह संक्रमणकाल का दौर है, और हम सब भी अपने पूरे मनोयोग से ड्यूटी कर रहे हैं, लेकिन हमें इन नर्सिंग विद्यार्थियों की योग्‍यता को भी परखना होगा।  उन्‍होंने कहा कि इस पर शासन को विचार करना चाहिए क्योंकि अभी यह छात्र ही हैं ऐसी स्थिति में इस कार्य की अनेक बारीकियां इन विद्यार्थियों को समझने और उन्हें अनुभव करने की जरूरत है।

उन्‍होंने कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं हो रहा है की इन नर्सिंग विद्यार्थियों की अगर ड्यूटी लगाई जाती है तो उन्हें मानदेय के रूप में क्या मिलेगा, इसके साथ ही क्या इन लोगों की सुरक्षा को देखते हुए अन्य कर्मियों की भांति बीमा आदि की सुविधा देने के लिए क्या शासन ने कोई मानक तय किए हैं। सीमा शुक्ला ने कहा है कि संकट की घड़ी में हम सब मरीज की सेवा करने के लिए तैयार हैं लेकिन साथ ही साथ यह भी आश्वासन चाहते हैं कि जो भी व्यक्ति महामारी की कठिन ड्यूटी में कार्य करे, उसे, उसके आर्थिक और स्वास्थ्य के हितों का भी सरकार ध्यान रखे।

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