साढ़े नौ एकड़ जमीन पर बनेगा नया संसद भवन, केंद्र ने भूमि उपयोग बदलाव को दी मंजूरी

लखनऊ: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को संसद भवन की नई इमारत और एक केंद्रीय सचिवालय के निर्माण के लिए आवश्यक भूमि उपयोग बदलाव को मंजूरी दे दी। नया संसद भवन साढ़े नौ एकड़ जमीन पर बनाया जाएगा। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के भूमि संबंधी बदलाव (सीएलयू) के लिए भेजे गए प्रस्ताव में मौजूदा हरित क्षेत्र को बरकरार रखने का प्रावधान किया गया है।

सेंट्रल विस्टा की प्रमुख इमारतें राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, नार्थ व साउथ ब्लॉक, इंडिया गेट, नेशनल आर्काइव्स का निर्माण 1931 से पहले का है। केंद्रीय सचिवालय के लिए विभिन्न मंत्रालयों की इमारतें जरूरत के हिसाब से खाली भूखंडों पर बेतरतीब तरीके से किया गया है। संसद भवन की इमारत वर्ष 1927 में बनी है, जिसे अब हेरिटेज बिल्डिंग घोषित किया जाएगा।

मौजूदा भवन में जगह कम होने की वजह से संसदीय जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं। प्रस्तावित कॉमन सेंट्रल सचिवालय की इमारतें एक साथ बनाई जाएंगी, जो सभी आधुनिकतम सुविधाओं से लैस होंगी। राजपथ की सुंदरता को और बढ़ाने के लिए हरित पट्टी और पानी की कृत्रिम नहरों को और सुंदर बनाया जाएगा। संसद की नई इमारत मौजूदा संसद भवन के सामने की जगह के साढ़े नौ एकड़ भूमि में बनेगी।
इसकी चौहद्दी के उत्तरी छोर पर रेडक्रास रोड, दक्षिण में रायसीना रोड और पश्चिम में संसद भवन होगा। जबकि दूसरा भूखंड मौजूदा शास्त्री भवन का है, जहां 5.88 एकड़ में सरकारी कार्यालय बनेगा। सेंट्रल विस्टा की कोई भी इमारत इंडिया गेट से अधिक ऊंची नहीं होगी।

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