धर्म सम्‍मेलन में तिब्‍बत के लोबसांग ने दिया 4 सी का मंत्र

dr_sange_k_27_10_2015 (1)दस्तक टाइम्स/एजेंसी- मध्यप्रदेश: इंदौर। तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसांग सांगे ने धर्म की व्याख्या ‘4-सी मंत्र के आधार पर की। उन्होंने स्पष्ट बताया कि धर्म में कौन सी 4 बातें होनी चाहिए और कौन सी 4 बातें नहीं होनी चाहिए।

ये 4 बातें धर्म….
 
कंपेशन (कस्र्णा)
चैरिटी (दानशीलता)
कॉपरेशन(सहयोग)
को-एग्जिस्टेंस (सह अस्तित्व)
 
ये 4 बातें अधर्म…
 
कन्वर्जन (धर्मांतरण)
कन्फ्लिक्ट(विवाद-विरोध)
कम्युनलिज्म (सांप्रदायिकता)
कोएर्सन (जबरदस्ती)
 
डॉ. सांगे ने धर्म की व्याख्या करते हुए कबीर का दोहा, ‘दु:ख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय.. जो सुख में सुमिरन करे, तो दु:ख काहे को होय का उल्लेख किया। अंग्रेजी व्याख्यान के बीच शुद्ध उच्चारण में हिंदी सुनकर गद्गद् हुए श्रोताओं ने जमकर तालियां बजाईं। उन्होंने अपने व्याख्यान का समापन.. जय भारत! जय इंडिया! जय जगत! से किया।
 
युद्ध समाधान नहीं: वाइनर
 
इससे पहले तीसरे दिन के पहले मुख्य सत्र के पहले वक्ता इजराइल के रब्बी के प्रवक्ता ऑडड वाइनर ने कहा कि हम सभी में सबके कल्याण की भावना निहित है और इसे समझकर अपनाना आवश्यक है। संवादहीनता की वजह से ही संपूर्ण विश्व में अराजकता उत्पन्न् हो रही है और युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है।
 
धर्म से धरती बनेगी स्वर्ग: सुमना
 
सिंगापुर से आए सुमना सिरी ने कहा कि धर्म के माध्यम से ही हम धरती को स्वर्ग जैसा सुंदर बना सकते हैं। डिजिटल डिस्टर्बेंस के युग में आध्यात्म और धर्म ही मनुष्य कल्याण के साधन बन सकते हैं।
अमेरिका से आए प्रोफेसर वामसी जुलूरी ने मीडिया, धर्म और उसके मनोविज्ञान पर बात की। वियतनाम से आए टिच नाट टू ने कहा कि समाज का नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास किए बिना बात नहीं बनेगी।
सत्र की अध्यक्षता करते हुए नेपाल से आए डॉ. नरेश मान वज्राचार्य ने मानवता के विश्वव्यापी मूल्यों को समझने में धर्म काफी मददगार साबित हो सकता है।
 
दूसरे मुख्य सत्र में अध्यक्षता प्रो कुसुम जैन ने की। सत्र के वक्ता जापान के प्रो. याशो कमाटा, चीन से आए प्रो. हयान शेन और प्रो यज्ञनेश्वर शास्त्री थे।
 
सम्मेलन का सारांश…
 
प्रो. गजनेश्वर शास्त्री ने सम्मेलन का सारांश प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में करीब 300 शोध पत्र आए। इनमें से करीब 150 शोध पत्रों को प्रस्तुत किया गया। करीब 25 शोध पत्र विदेशी विद्वानों ने पेश किए।
 
इन देशों से आए विद्वान-
 
अमेरिका, जापान, चीन, स्पेन, ब्रिटेन, सिंगापुर, थाइलैंड, म्यामार, कंबोडिया, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश एवं इजराइल का प्रतिनिधित्व विद्वानों और धर्मगुरूओं ने शिरकत की। किया।
 
कुल 1221 रजिस्ट्रेशन-
 
सम्मेलन में सभी श्रेणियों में कुल करीब 1221 रजिस्ट्रेशन हुए। इनमें 550 ऑनलाइन व 300 ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन किए गए। प्रमुख सचिव संस्कृति मनोज श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त किया।
 
संबंधों में तनाव उत्पन्न कर रहा सोशल मीडिया
 
वर्तमान समय में सोशल मीडिया का बहुत इस्तमाल किया जा रहा है। इससे बच्चों में संवेदनाएं खत्म हो रही है। उनके पास अपने माता-पिता से बात करना का समय नहीं है। सोशल मीडिया संबंधों में तनाव पैदा कर रहा है। सोशल मीडिया के कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
 
डॉ. सुमन सीरी, बुद्धिस्ट रिलीजन सेंटर, लंदन
 
 
दर्शन के शोध छात्रों ने दिखाया उत्साह
 
धर्म-धम्म सम्मेलन में शामिल होने उज्जैन ने इंदौर आए दर्शनशास्त्र के शोध छात्र राहुल जैन और विशाल लालावत ने कहा कि यहां आकर हमें विविध धर्मावलंबियों के अनमोल विचार जानने का सुअवसर मिला। हमारी रिचर्स में यहां के संदर्भ बेहद काम आएंगे। दरअसल, इसी मंशा से हम घूम-घूमकर प्रत्येक विद्वान से उसके रिसर्च पेपर की फोटोकॉपी लेने में जुटे हैं।
 
गीता पर भी मंथन होना चाहिए
कटनी से आए स्वामी गिरजानंद ने कहा कि गीता जैसे महान ग्रंथ पर चर्चा के बिना कोई भी धर्म-धम्म सम्मेलन में पूर्ण नहीं माना जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि 18 अध्याय और 700 श्लोक वाली गीता जीवन का मूल मंत्र है। संसार की सर्वोत्तम प्रेरक पुस्तक है। इसके बावजूद यहां गीता को लेकर किसी विद्वान ने कोई ठोस रिसर्च पेपर प्रस्तुत नहीं किया।
 
फसल तो आई मगर कट गई लगान में..!
 
सागर से आए दर्शन के युवा विद्वान डॉ.ऋ षभ कुमार जैन ने धर्म सम्मेलन की अपने शब्दों में समीक्षा करते हुए निष्कर्ष दिया कि फसल तो आई मगर कट गई लगान में। उनका इशारा हिन्दी की उपेक्षा और अंग्रेजी को अतिशय महत्व दिए जाने की ओर था। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए चिंता जताई कि जापान, फ्रांस, चीन सहित अन्य देशों में विद्वानगण अंग्रेजी में पारंगत होने के बावजूद राष्ट्रीय स्वाभिमानवश सभाओं में जापानी भाषा का ही प्रयोग करते हैं। जबकि भारत में हिन्दी जानने वाले विद्वान तक विद्वता का प्रदर्शन करने के फेर में अंग्रेजी बोलने में गौरव समझते हैं।
 
फ्रांस से खिंचे चले आए जैरी…
 
फ्रांस से आए जटाधारी युवा जैरी डोडिन ने प्रसन्न्चित्त लहजे में कहा कि भारत दुनिया का सबसे धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता वाला देश है। इसके बारे में किताबों के जरिए खूब ज्ञान अर्जित किया, जिससे मेरे दिल में यहां बार-बार आने की तमन्ना जाग उठी। फिलहाल पांचवीं बार भारत आना हुआ। यह सम्मेलन बेहद ज्ञानवर्धक रहा। कई गूढ़ बातों जो विविध धर्मों में शामिल हैं मुझे उनका ज्ञान हुआ।
 
युवाओं को विशेष रूप से जुटाना चाहिए
 
झांसी ललितपुर से आए डॉ.सुमेध थेरो ने कहा कि इस तरह के बडे आयोजनों में युवा पीढ़ी को अधिक से अधिक जुटाना चाहिए। क्योंकि आज भोगवादी संस्कृति तेजी से सिर उठा चुकी है। ऐसे में धर्म की शिक्षाओं से युवाओं के भीतर विकृति दूर होगी और संस्कार मजबूत होंगे। धर्म का मूल अर्थ परस्पर जोड़ना है और धर्म से जुडकर युवा टूटने के स्थान पर मजबूत होंगे।
 
धर्म-धम्म सम्मेलन : झलकियां …
 
0 श्रीश्री की एक छवि नजदीक से पाने अनुयायियों में होड़ मच गई। युवतियां भीड़ के बीच धक्का-मुक्की करते हुए बेतहाशा आगे बढ़ने व्याकुल भीं। एक युवती जमीन पर गिर गई, जिसे वॉलेंटियर्स ने उठाया।
0 श्रीश्री के आगमन से आधा घंटा पहले से ही सभागार के गेट बंद कर दिए गए। इसलिए भीड़ दरवाजों पर धक्का देकर अंदर आने मचलती रही।
0 गले में आर्ट ऑफ लिविंग का कार्ड लटकाए श्रोताअों से सभागार खचाखच भर जाने के कारण दूसरे श्रोताओं ही नहीं प्रतिभागियों तक को कुर्सियां नहीं मिलीं।
0 दलाई लामा के प्रतिनिधि धर्मशाला के तिब्बती धर्मगुरू डॉ.लोबसांग ने कार्यक्रम समाप्ति के बाद गैलरी से गुजरते हुए कई धर्मप्रेमियों से हाथ मिलाया और ऑटोग्राफ भी दिए। सेल्फी की भी होड़ देखने को मिली।
0 प्रमाण-पत्र सिर्फ ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन वालों को मिले। इससे दूसरे प्रतिभागियों में असंतोष नजर आया।
 
 

 

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