दोनों ट्रेनों में थी ये खास तकनीक, अगर ड्राइवर ध्यान देते तो नहीं मरते इतने लोग

अमृतसर में 61 से ज्यादा लोगों के टुकड़े करने वाली दोनों गाड़ियों में न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम लगा था। अगर ड्राइवर थोड़ी भी सावधानी बरतते तो इतनी बड़ी संख्या में लोग न मरते। न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम, भारतीय रेलवे की नवीनतम तकनीक मानी जाती है। यह ब्रेक सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से ऑपरेट होता है। इसकी मदद से किसी भी इमर्जेंसी में गाड़ी को रोका जा सकता है। ब्रेक लगने के बाद हाईस्पीड में चल रही गाड़ी डेढ़ सौ मीटर दूरी पर रुक जाती है।
न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम की खासियत
उत्तर रेलवे में गाड़ियों की स्पीड और ट्रैक क्षमता के विशेषज्ञ एक अधिकारी का कहना है कि न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम की खासियत यह है कि इनके इस्तेमाल से गाड़ी के डीरेलमेंट (यानी गाड़ी का पटरी से उतर जाना) की संभावना न के बराबर होती है। पहले गाड़ियों में वैक्यूम ब्रेक होते थे, जिसे लगाने के बाद गाड़ी साढ़े तीन सौ मीटर दूरी पर जाकर रूकती थी। इसमें कई बार गाड़ी के डीरेलमेंट होने का खतरा बना रहता था। शुक्रवार की रात जोड़ा फाटक के निकट जब यह हादसा हुआ तो जालंधर-अमृतसर डीएमयू नम्बर 74643 की स्पीड सौ से अधिक थी। इस फाटक से ज्यादातर गाड़ियां 110 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गुजर सकती हैं। हादसे के वक्त दूसरी गाड़ी 13006 अमृतसर-हावड़ा एक्सप्रेस भी फुल स्पीड पर चल रही थी।
ड्राइवर बरतते सावधानी तो नहीं जाती इतनी जान
रेलवे एक्सपर्ट केतन गोराडिया और आईएस शर्मा का कहना है कि दोनों गाड़ियों के लिए वहां पर कोई कॉशन नहीं लगा था, इसलिए वे फुल स्पीड पर थी। अहम बात यह है कि दोनों गाड़ियों के ड्राइवर अगर थोड़ी सी भी सावधानी बरतते तो हादसा इतना भीषण न होता। अगर चालक 150-200 मीटर पहले न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम का इस्तेमाल करते तो रावण जलाए जाने वाले स्थल तक गाड़ी रुक सकती थी। दोनों गाड़ियों के ड्राइवरों में से किसी ने भी स्पीड कम नहीं की और न ही इमर्जेंसी ब्रेक लगाने का प्रयास किया, जबकि उन्हें ट्रैक के आसपास भीड़ दिखाई दे रही थी।
ट्रेन ड्राइवर ने की यह दूसरी गलती
रेलवे एक्सपर्ट कहते हैं कि ट्रेन ड्राइवर ने दूसरी बड़ी गलती यह कर दी कि उन्होंने हादसे की सूचना अगले स्टेशन पर नहीं दी। पहले रेलवे में यही नियम था। अगर कोई ऐसा हादसा होता है और ड्राइवर को पता है तो वह अगले स्टेशन पर गाड़ी रोक कर उसकी सूचना देता था।
बाद में यह नियम बना कि अगर कोई छोटा-बड़ा हादसा होता है तो ट्रेन ड्राइवर और गार्ड तुरंत गाड़ी रोककर मौके पर जाएंगे। आरपीएफ को सूचना देंगे। अमृतसर ट्रेन हादसे में दोनों गाड़ियों के ड्राइवर लापरवाह दिखे हैं। उन्होंने नियम के मुताबिक अगले स्टेशन पर हादसे की सूचना नहीं दी।
एक्सपर्ट का कहना है कि इस मामले में ड्राइवर ने हादसे के बाद मौके पर गाड़ी न रोक कर सूझबूझ का परिचय दिया है। अगर वे ऐसा करते तो भीड़ गाड़ियों को आग के हवाले कर सकती थी। इससे बहुत से ट्रेन यात्रियों की जान खतरे में पड़ सकती थी, लेकिन उन्होंने अगले स्टेशन पर भी गाड़ी नहीं रोकी।

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