देश भर में साइबर अपराधियों से निपटने के लिए ढांचा बनकर तैयार है- अमित शाह

जामताड़ा और मेवात ही नहीं, एजेंसियों ने साइबर अपराधियों के सात हाटस्पाट की पहचान की है और उनसे निपटने के लिए राज्यों व अन्य एजेसियों की संयुक्त साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन टीम (जेसीसीटी) का गठन किया गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि देश भर में साइबर अपराधियों से निपटने के लिए ढांचा बनकर तैयार है और साइबर अपराध का शिकार होने वाले लोगों को तत्काल टालफ्री हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करना चाहिए, ताकि उनका ठगी का उनका पैसा वापस दिया जा सके। अमित शाह ने बताया कि देश में जामताड़ा और मेवात के अलावा चंडीगढ़, अहमदाबाद, हैदराबाद, विशाखापट्टनम और गुवाहाटी की साइबर अपराधियों के हाटस्पाट के रूप में पहचान हुई है।

अपराधियों से निपटने के लिए टीमों का गठन

देश भर में होने वाले अधिकांश साइबर अपराध इन्हीं हाटस्पाट के साइबर अपराधी कर रहे हैं। यहां साइबर अपराधियों से निपटने के लिए संयुक्त टीमें बनाई गई हैं। जामताड़ा में इस संयुक्त टीम का असर दिखने भी लगा है और वहां से साइबर अपराध की संख्या में कमी आई है। इसी तरह से अन्य जगहों पर भी इनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अमित शाह ने कहा कि साइबर अपराध के शिकार लोगों को पैसा वापस दिलाने के लिए समय पर शिकायत करना जरूरी है। इसके लिए 1930 टोलफ्रीम हेल्पलाइन नंबर पूरे देश में चालू हैं। इस नंबर पर समय रहते शिकायत किये जाने की वजह से 1.33 लाख से अधिक लोगों के ठगे गए 235 करोड़ रुपये वापस कराने में सफलता मिली है।

उन्होंने कहा कि इस प्लेटफार्म पर 250 से अधिक बैंक व वित्तीय संस्थान जुड़े हैं, जो साइबर ठगी से जुड़े खातों को तत्काल सील कर पैसा वापस कराने में मदद कर रहे हैं। अमित शाह के अनुसार जनवरी 2020 में गृहमंत्रालय द्वारा शुरु किया गया साइबर क्राइम पोर्टल साइबर अपराधियों से निपटने का कारगर हथियार साबित हो रहा है। हेल्पलाइन नंबर 1930 इसी पोर्टल से जुड़ा हुआ है।

20 लाख से अधिक शिकायतें दर्ज

तीन साल से कम समय में इस पोर्टल का 13 करोड़ से अधिक बार इस्तेमाल किया गया है और 20 लाख से अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं। इन शिकायतों की मदद से 40 हजार से अधिक एफआइआर दर्ज करने में सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि शिकायतों के अनुपात में कम एफआइआर के बावजूद यह पोर्टल साइबर क्राइम की बदलते पैटर्न और हाटस्पाट की पहचान में मददगार साबित हुआ है। इसका विश्लेषण कर साइबर अपराध से जुड़ी एजेंसियां अपनी रणनीति को नई धार दे रही हैं।

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