दूसरे देशों में रह रहे ‘अपनों ‘के लिए कितने चिंतित हैं लोग
प्रीति सिंह
इस वक्त पूरी दुनिया में हर जुबान पर सिर्फ एक नाम है और वह है कोरेना। पूरी दुनिया किसी से डरी हुई है तो वह है कोरोना। अमीर देश हो या गरीब, कोरोना हर जगह पहुंच गई है। इसलिए जो जहां है अपनों के स्वस्थ्य रहने की दुआ कर रहा है। फोन से, वीडियो कॉल से सब एक-दूसरे का हालचाल ले रहे हैं लेकिन चाहकर भी कोई अपनों को बुला नहीं पा रहे हैं, क्योंकि अधिकांश देशों ने अपनी हवाई सेवा बंद कर दी है। बाहर से आने-जाने पर रोक लगी हुई है।
अमेरिका हो या लंदन, जर्मनी हो या स्पेन, सिंगापुर हो या आस्टे्रलिया, इटली हो या ईरान, हर देश में भारतीय रहते हैं। अब जब कोरोना पूरी दुनिया पर अपना कहर बरपा रही है तो भारत के लोग दूसरे देशों में रह रहे अपनों के लिए चिंतिंत हैं। सबसे ज्यादा वो परिवार चिंतित हैं जो जिनके बच्चे अमेरिका, इटली या स्पेन में हैं। भारत भी कोरोना से सुरक्षित नहीं है, बावजूद ये लोग अपने परिजनों को लेकर परेशान हैं।
बनारस की रहने वाली शैलकुमारी कोरोना वायरस को लेकर बहुत सजग है। उनकी जिज्ञाशा कोरोना वायरस से भारत से ज्यादा आस्ट्रेलिया में क्या हो रहा है यह जानने में है। दरअसल उनकी बेटी अर्चना राय अपने परिवार के साथ आस्ट्रेलिया में रहती हैं। इसलिए वह अपनी बेटी को लेकर बहुत परेशान हैं। हालांकि इस बात को लेकर थोड़ी बेफ्रिक हैं कि अमेरिका की तुलना में आस्ट्रेलिया में कोरोना का कहर कम है। वह कहती हैं इस समय बस एक ही दुआ है जो जहां है स्वस्थ्य रहे। मेरी बेटी, दामाद और नाती बाहर है इसलिए दिमाग उन्हीं लोगों में लगा रहता है। दिन में कई बार फोन पर बात होती है। सबसे ज्यादा घबराहट इस बात की है कि कोई चाहकर भी न आ सकता हैं और न जा सकता है।
मुंबई में पुलिस विभाग में काम करने वाली अलका परब लंदन में कार्यरत अपने पति को लेकर बहुत परेशान हैं। उनके पति रविन्द्र परब आईटी कंपनी में काम करते हैं और वह पिछले कुछ साल से लंदन में हैं। अलका कहती हैं कि यूरोप में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा है। मेरे पति लंदन में हैं इसलिए मैं परेशान हूं। फोन के अलावा कोई माध्यम नहीं है। वह चाहकर भी हमारे पास नहीं आ सकते। बस सब जल्दी से पहले जैसा हो जाए।
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जौनपुर में रहने वाले अजय सिंह की पिछले कुछ दिनों में उनकी उलझन बढ़ गई है। उनकी उलझन का कारण अमेरिका के नार्थ कारोलिना स्टेट में रहने वाली उनकी बेटी प्रियंका, दामाद गणेश और दो छोटे-छोटे नाती है। इस समय कोरोना वायरस का संक्रमण सबसे ज्यादा अमेरिका में हैं। इसलिए वह चिंतित हैं। वह कहते हैं परेशानी कितनी भी बड़ी हो, पूरा परिवार साथ में होता है तो परेशानी छोटी लगती है। बेटी साथ में नहीं है इसलिए चिंता बढ़ गई है। वह कहते हैं- बेटी प्रियंका बता रही थी कि वहां स्थिति ठीक नहीं है। 16 मार्च से वे लोग घर में बंद हैं। नाती का स्कूल भी 15 मई तक बंद कर दिया गया है। जरूरी सामान के लिए ही लोग बाहर निकल रहे हैं। स्टोर में सामान भी लिमिटेड हो गया है। अजय कहते हैं-अब आप ही बताइये, ऐसे हालात में चिंता तो बढ़ेगी ही न।
बनारस के ही रहने वाले कल्लू सिंह भी अमेरिका के टेक्सास में रह रहे अपने बेटे के लिए फिक्रमंद हैं। उनके बेटे नीरज बैंकर है और अपने परिवार के साथ कई सालों से अमेरिका में हैं। कल्लू सिंह कहते हैं, कोरोना वायरस ने डरा दिया है। पूरी दुनिया में महामारी फैली हुई है। जब तक अमेरिका में कोरोना का संक्रमण नहीं फैला था तब तक चिंता नहीं थी, लेकिन अब चिंता बढ़ गई है। फोन पर बच्चों से बातचीत हो रही है। वह लोग कह तो रहे हैं कि घर में बंद हैं। वह लोग ठीक हैं लेकिन मन नहीं मान रहा। मन में बस यही है कि इस संकट की घड़ी में मेरे सारे बच्चे मेरे पास आ जाए।
लखनऊ के उमेश सिंह और उर्मिला सिंह आस्ट्रेलिया में फंस गए अपने बेटे के लिए परेशान हैं। उनके बेटे अजय सिंह, वैसे तो सिंगापुर में रहते हैं, लेकिन इन दिनों आस्ट्रेलिया में हैं। वह काम के सिलसिले में आस्ट्रेलिया गए थे और उनको मार्च के अंतिम सप्ताह में लौटना था, लेकिन सिंगापुर सरकार ने दूसरे कंट्री से आने वाले लोगों पर रोक लगा दी है। इसलिए ये दोनों लोग परेशान हैं। उमेश सिंह कहते हैं बेटा आस्ट्रेलिया में है और बहू, पोती सिंगापुर में। बेटे को जाना था पर कब जायेगा पता नहीं। वैसे तो सब ठीक है लेकिन कोरोना संक्रमण के मामले जिस तरह बढ़ रही है उससे चिंता बढ़ गई है।
बरेली के जसविंदर कौर और भगवंत सिंह सिंगापुर में रह रहे अपने बेटे मंदीप सिंह को लेकर थोड़ी चिंतित हैं। जसविंदर कहती हैं-मेरा बेटा छुट्टी में आया था। 13 मार्च को ही वापस गया। मुझे पता होता कि फ्लाइट बंद कर दिया जायेगा तो बिल्कुल न जाने देती। चिंता होती हैं बेेटे की। वहीं भगवंत सिंह कहते हैं- बेटे से दिन में दो-तीन बार तो बात हो ही जाती है। वहां सब ठीक है। बेटा बता रहा था कि वहां कोरोना को लेकर सरकार अलर्ट है। दहशत का माहौल नहीं है। वह तो हमी लोगों को घर में रहने की नसीहत देता रहता है। वह कहते हैं, बेटा है। आंखों से दूर है तो चिंता तो होगी न।
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