दिल्ली-NCR समेत कई राज्यों में अच्छी बारिश होने की बन रही संभावनाएं…

दिल्ली-एनसीआर (National Capital Region) में देर से दस्तक देने के बावजूद मानसून की बेरुखी हर किसी के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। आलम यह है कि दिल्ली-एनसीआर के लोग झमाझम बारिश के लिए तरस रहे हैं। आखिर क्या वजह है कि इस बार मानसून अपनी उपस्थिति का एहसास तक नहीं करा पा रहा, कब तक झमाझम बारिश का दौर शुरू हो पाएगा और क्या इस बार मानसून सामान्य रहेगा या नहीं, इन्हीं सवालों को लेकर संजीव गुप्ता ने मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) के महानिदेशक डॉ. के जे रमेश से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश :

आखिर दिल्ली-एनसीआर में अब तक मानसून की बारिश ठीक से क्यों नहीं हुई है?

यह सही है कि मानसून ने दिल्ली एनसीआर में दस्तक दे दी है, लेकिन जहां तक ठीक से बारिश नहीं होने का सवाल है तो देखिए, मानसून की बारिश सभी जगह एक साथ और एक जैसी नहीं होती। परिस्थितियां भी सभी जगह अलग-अलग होती हैं। मसलन, इस समय कुछ राज्यों में खूब बारिश हो रही है, जबकि कई जगहों पर फिलहाल नाममात्र की बारिश हुई है। थोड़े दिन में मानसून का रुख बदल जाएगा तो उन राज्यों में भी अच्छी बारिश होने लगेगी जहां अभी नहीं हो रही।

मानसून की बारिश दिल्ली-एनसीआर में कब से ठीक से होने की उम्मीद की जा सकती है?

22 जुलाई से दिल्ली-एनसीआर ही नहीं, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की तरफ भी अच्छी बारिश होने की संभावनाएं बन रही हैं। इस दौरान जम्मू कश्मीर की तरफ मजबूत पश्चिमी विक्षोभ (western disturbance) के भी सक्रिय होने की उम्मीद है तो बंगाल की खाड़ी से हवा के कम दबाव का क्षेत्र भी बन रहा है। ऐसे में इन सभी जगहों पर झमाझम बारिश होगी और आगे भी जारी रहेगी।

यहां बारिश ठीक से न होने के पीछे क्या कारण हैं?

दिल्ली-एनसीआर में बारिश होने के लिए मजबूत पश्चिमी विक्षोभ होना और बंगाल की खाड़ी से हवा के कम दबाव वाला क्षेत्र का बनना बहुत जरूरी होता है। अगर ये दोनों ही नहीं हों तो बारिश के अनुकूल परिस्थितियां नहीं बन पातीं। दिल्ली-एनसीआर में मानसून के शुरुआती दौर में अच्छी बारिश न होने की प्रमुख वजह भी यही रही है।

क्या घटता हरित क्षेत्र और बढ़ता प्रदूषण भी इसके लिए जिम्मेदार है?

नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। घटता हरित क्षेत्र बारिश की तीव्रता को तो कम कर सकता है, लेकिन उसे रोक नहीं सकता। वैसे दिल्ली में हरित क्षेत्र घटा भी नहीं है और औसत है। जहां तक दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण का सवाल है तो उसका भी बारिश के स्वरूप या उसकी मात्र को प्रभावित करने में कोई योगदान नहीं है। इसके विपरीत बारिश होते ही प्रदूषण थम जाता है और हवा भी साफ हो जाती है।

दिल्ली-एनसीआर में अब तक बारिश की कितनी कमी है?

दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और चंडीगढ़ में अभी तक इस सीजन में 59 फीसद कम बारिश हुई है। अगर सिर्फ दिल्ली की बात करें तो यह आंकड़ा 90 फीसद तक कहा जा सकता है। एक जून से 13 जुलाई तक 140.1 मिमी बारिश होनी चाहिए थी, जबकि हुई है केवल 13.8 मिमी।

देश में, विशेषकर मध्य और उत्तर भारत में अब तक मानसून की क्या स्थिति है?

मध्य भारत में गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक इत्यादि में भी मानसून देरी से पहुंचा, बावजूद यह आज अच्छी स्थिति में है। जून तक जहां इन राज्यों में 34 फीसद तक कम बारिश चल रही थी वहीं अब यह कमी घटकर महज 12 फीसद रह गई है। मतलब, 22 फीसद बारिश की भरपाई हो गई। उत्तर भारत के राज्यों, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश वगैरह में भी जल्द ही मानसून रफ्तार पकड़ लेगा।

क्या इस बार अनुमान के विपरीत कमजोर रहेगा मानसून?

बिल्कुल नहीं, मानसून कमजोर नहीं बल्कि सामान्य (96 फीसद के आसपास) ही रहेगा। शुरुआत में भी मानसून अल नीनो के प्रभाव से ही कमजोर पड़ा था। लेकिन, अब अलनीनो का प्रभाव करीब-करीब खत्म हो गया है। इसलिए बहुत ही जल्द लगभग सभी जगह अच्छी बारिश के आसार हैं।

Back to top button