असावरी देवी ने शरारत भरे लहजे में कहा, मुझे क्या मालुक कहां है भाभी? तभी शिव शंकर समझ गए कि असावरी देवी कोई शरारत कर रही है। उन्होंने कहा, सत्य बोलो मैं जानता हूं तुम झूठ बोल रही हो।
असावरी देवी जोर-जोर से हंसने लगी और जोर से अपना पैर जमीन पर पटक दिया तभी पैर की दरारों में दबी माता पार्वती झटके के साथ बाहर आ गईं।
ननद के इस व्यवहार से माता पार्वती का मन बहत ज्यादा दुखी हुआ। वह गुस्से में भगवान भोलेनाथ से बोलीं आप की विशेष कृपा होगी अगर आप अपनी बहन को ससुराल भेज दें। मुझसे गलती हो गई जो मैंने ननद की इच्छा की।
भगवान भोलेनाथ समझ गए कि भाभी-ननद में बहुत पटने वाली नहीं है। इसके बाद उन्होंने असावरी देवी को कैलाश पर्वत से विदा कर दिया। प्राचीन काल से आरंभ हुआ ननद भाभी के बीच नोक-झोंक का सिलसिला आज तक चल रहा है।