तू भूखा और नंगा है, पर देश में सब चंगा है

सुरेंद्र दुबे
कोरोना काल में चल रही तबाही से दुखी व पीडि़त लोगों के मन को शांति प्रदान करने तथा सम्पूर्ण दुखों से मुक्ति प्रदान करने के लिए एक गाना लांच किया गया है जिसका शीर्षक है” जयतु जयतु भारतम “। इसके लेखक हैं-प्रसून जोशी। इस गाने को 200 गायकों ने स्वर दिया है और इसमे 15 भाषाओं का समावेश किया गया है। गानों का इतिहास खंगालें तो इतना बड़ा शो शायद ही पहले कभी किया गया हो। जाहिर है कि इसमे पैसा भी खूब खर्च हुआ होगा।
खैर हमें उसकी चिंता नहीं है। गाने बजाने पर हम हमेशा खर्च करते रहें हैं इसकी वजह से रोजी-रोटी पर भी असर पड़ जाता है। पर हमारी फिलासफी यह है कि तन भले ही कस्ट में रहें पर मन प्रसन्न रहना चाहिए। तन का क्या वह तो नश्वर है। आप लोग देख ही रहे है कि हमारे गरीब लोग कैसे देश भर में मारे-मारे घूम रहे है। सैकड़ों लोग दुर्घटनाओं में मारे भी जा रहे है पर इस तरह की घटनाओं से हम विचलित नहीं होते।
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हमारी मान्यता है कि इंसान अपने कर्मों का फल भोगता है। अब जिनकी किस्मत में सड़क पर मैराथन दौड़ में ही मरना लिखा है उसके लिए सरकार को दोष देना ग्रह नक्षत्रों का अपमान करना है। जिन्होंने अच्छे कर्म किये है वे भले ही भूखे मर जाएं पर स्वर्ग या जन्नत जरूर जायेंगे। स्वर्ग जाएंगे तो वहां अप्सराएं जरूर मिलेंगी और दारू के साथ चखना भी जरूर मिलेगा। अगर जन्नत गये तो 72 हूरें मिलेंगी। हां जिनके कर्म खराब है उन्हें मरने से बचना चाहिए। अगर नर्क गये तो हमारे शास्त्र कहतें हैं कि उन्हें वहां गरम तेल में डालकर सजा दी जायेगी। इससे तो अच्छा है कि ये लोग अपने प्यारे देश की लू से धधकती सड़कों पर ही जयतु जयतु भारतम करते रहें।
इन्हीं कठिन परस्थितियों के माहौल से निजात दिलाने में गीत मदद कर सकता है। आशा भोसले के मधुर कंठ से गीत का आगाज होता है। शंकर महादेवन,एस पी बाला सुब्रमण्यम, कैलाश खेर सहित 200 गायकों ने एक देश एक गीत का संदेश देने की कोशिश की है। कलाकार तो सिर्फ अपनी-अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करता है, मकसद तो गाना गवाने वाले का होता है। इसलिये वसुधैव कुटुंबकम की भी बात कही गयी है।
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पूरी दुनिया की तो छोड़ो अपने ही देश के लोगों को कुटुम्ब का अंग नहीं समझते। अगर समझते तो फिर इस देश में कई भारत नहीं होते। ढोल पीटने के लिए कुछ भी गाते रहिये।गाने में विश्व प्रेम की ओढ़ चदरिया का भी खूब गायन हुआ है। प्रेम तो सड़कों पर दिखाई दे रहा है। करोड़ों लोगों को पहली बार पता चला है कि सरकार उससे कितना प्रेम करती है। जिनके प्रति पहले प्रेम था उनके प्रति प्रेम बरकरार है। ठीक है अमीर से दोस्ती करिये कौन रोकता है, पर गरीब भी आपके अपने हैं। आपके जिंदाबाद के नारे लगाते हैं। कम से कम उनके लिये मुर्दाबाद का भाव न रखिये। गाने में लॉकडाउन के दौरान ताली और थाली बजाने और दीप जलाने के दृश्य भी दिखाये गए है। गीत का समापन प्रधानमंत्री द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से किया गया है।
वीडियो गीत से ऐसा लगता है जैसे अंधकार के माहौल में सब कुछ चंगा है दिखाने की कोशिश की जा रही है। हम सब की दिली इच्छा है कि सब कुछ चंगा हो जाय, पर जब ऐसा नहीं है तो भूखे आदमी को रोटी देने के बजाय उसे लोरी सुनाकर और दुखी न किया जाय। कभी-कभी सिर्फ मैनजेमेंट की ही जरूरत होती है। बिला वजह इवेंट मैनजेमेंट से पूरा मैनजेमेंट ही बिगड़ जाता है।
(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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