तमाम आपत्तियों के बीच रूस में बनी कोरोना वैक्सीन की पहली खेप

हर महीने रूस बनायेगा 50 लाख डोज
जुबिली न्यूज डेस्क
रूस के कोरोना वैक्सीन का एक बड़ा तबका विरोध कर रहा है। डब्ल्यूएचओ, अमेरिका, भारत सहित रूस में भी इस वैक्सीन पर संदेह जताया जा रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक रूस टीके को लेकर जल्दबाजी कर रहा है। इन तमाम विरोधों का रूस की सेहत  पर कोई असर नहीं पड़ा है। रूस ने कोरोना वैैक्सीन की पहली खेप तैयार कर ली है।
बीबीसी के मुताबिक रविवार को एक एजेंसी ने रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के आधार पर बताया है कि रूस ने अपनी वैक्सीन का पहला बैच बना लिया है। हालांकि इस सूचना को देने से कुछ घंटे पहले ही मंत्रलाय ने बताया था कि रूस में वैक्सीन का उत्पादन शुरू हो गया है।
ये भी पढ़े : रूस की कोरोना वैक्सीन पर इस देश के राष्ट्रपति को है पूरा भरोसा
ये भी पढ़े :  कोरोना वैक्सीन पर राहुल की सरकार को ये सलाह
ये भी पढ़े :  कोरोना संक्रमित व्यक्ति की क्यों हो जाती है एकाएक मौत

कुछ वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की है कि रूस ने तेजी से वैक्सीन के उत्पादन को मंज़ूरी देकर राष्ट्रीय गौरव को स्वास्थ्य और सुरक्षा पर प्राथमिकता दी है। दुनिया भर के देश वैक्सीन बनाने की होड़ में हैं और रूस ने सबसे पहले वैक्सीन बना लेने की घोषणा करके बाजी मारने का दावा किया है.
रूस के मुताबिक उसकी वैक्सीन इसी महीने के अंत तक बाजार में आ जाएगी, जो कोरोना वायरस के खिलाफ पहली वैक्सीन होगी।
रूस ने वैक्सीन को फेज थ्री ट्रायल से पहले ही मंज़ूरी दे दी है। इसी को लेकर वैज्ञानिक चिंता जता रहे कि बिना फेज थ्री ट्रायल और उसका परिणाम जाने बिना वैक्सीन बनाना और लोगों देना खिलवाड़ है।
बता दें कि फेज थ्री ट्रायल में हजारों लोगों पर वैक्सीन का परीक्षण किया जाता है। इस ट्रायल को वैक्सीन के उत्पादन के लिए मंज़ूरी मिलने के लिए बेहद अहम माना जाता है।
रूस ने अपनी वैक्सीन का नाम स्पुतनिक-5 रखा है। स्पुतनिक अंतरिक्ष में जाना वाला दुनिया का पहला उपग्रह था जिसे रूस ने लॉन्च किया था।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जोर देकर कहा है कि ये वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और उनकी अपनी बेटी ने इसका टीका लगवाया है। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी ने टीका लगवाने के बाद अच्छा महसूस किया।
ये भी पढ़े :इजराइल-यूएई : 49 साल पुरानी दुश्मनी कैसे हुई खत्म?
ये भी पढ़े :रूस की कोरोना वैक्सीन की भारी मांग, 20 देश कर चुके प्री-बुकिंग
ये भी पढ़े :टीके पर संदेह के बाद भी क्या भारत खरीदेगा रूस की कोरोना वैक्सीन ?

न्यूज एजेंसी के मुताबिक इस वैक्सीन को विकसित करने वाले मॉस्को के गामेलाय इंस्टीट्यूट का कहना है कि रूस दिसंबर-जनवरी तक प्रति माह पचास लाख वैक्सीन बना सकेगा।
वर्तमान में दुनिया के तीन देशों में कोरोना संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले हैं। कोरोना से अमेरिका, ब्राजील और भारत सबसे ज़्यादा पीडि़त हैं।
वहीं अमरीका और ब्राजील ने रूस की वैक्सीन इस्तेमाल करने से मना कर दिया है। वहीं भारत ने भी रूस की वैक्सीन इस्तेमाल करने को लेकर आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा है। फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटेर्टे ने जरूर कहा है कि वो रूसी वैक्सीन पर पूरा भरोसा करते हैं और अपने यहां इस्तेमाल करेंगे।
 

Back to top button