डेबिट-क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने पर भी लुटेरे हैक कर सकते हैं अकाउंट…

अगर आप डेबिट और क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करते हैं तो भी आपका अकाउंट हैक हो सकता है। ऑनलाइन बैंकिंग के अलावा मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाएं क्योंकि हैकर्स की नजर आपके अकाउंट पर है। दरअसल, ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि हाल में हैकिंग को लेकर आए चौंकाने वाले आंकड़े बता रहे हैं।

डेबिट-क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने पर भी लुटेरे हैक

आपका मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप और पीसी कभी भी हैक हो सकता है। आपकी निजी सूचनाओं पर गिद्ध की तरह नजरें गड़ाए बैठे हैकर कभी भी आपको चूना लगा सकते हैं। हैकिंग का यह डर तब और बढ़ गया जब 120 मिलियन यानी 12 करोड़ ग्राहकों वाली वेबसाइट जोमैटो हैक हो गई।

खबरों के अनुसार जोमैटो के 12 करोड़ ग्राहकों में एक लाख 70 हजार ग्राहकों का डाटा चोरी हुआ है। यह सब तक हुआ जब जोमैजो ने अपनी वेबसाइट सुरक्षा के लिए पूरे इंतजाम किए हुए थे। ऐसे में आम लोगों को उनके कम्यूटर और मोबाइलों की सुरक्षा चिंता का विषय बन गई है। अब हर शायद यही सवालों के जवाब तलाश रहा होगा कि हैकिंग क्यों होती है? हैकिंग करने वाले कौन होते हैं? हैकिंग की पूरी हकीकत क्या और इससे कैसे बचा जा सकता है? तो आइए हम आपको रूबरू कराते हैं हैकिंग पर हर सवाल के जवाब से और हैकिंग की पूरी हकीकत से-

रैंसमवेयर अटैक दुनिया की सबसे बड़ी कम्प्यूटर हैकिंग

रैसमवेयार अटैक को विशेषज्ञों ने दुनिया का सबसे बड़ा साइबर हमला माना है। क्योंकि यह हमला तीन दिन से कम समय में ही 150 ज्यादा देशों में हुआ। उपलब्ध सूचना के अनुसार इन देशों के करीब 2 लाख से ज्यादा कम्प्यूटरों को निशाना बनाया गया।

रैंसमवेयर से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में भारत तीसरे नंबर पर है जहां 48000 हजार कम्यूटर हैक किए गए।

क्या है रैंसमवेयर?

अंग्रेजी शब्द रैंसम का मतलब उगाही या वसली करना होता है। रैंसमवेयर उगाही करने वाला एक ऐसा साफ्टवेयर है जो दूसरे कम्प्यूटर में पहुंचकर उसका एक्सेस ब्लॉक कर देता है। कम्प्यटर ऑन करने की कोशिश करने पर एक मैसेज दिखाता है जिसमें मांगी गई रकम (बिटक्वॉइन) अदा करने का ऑप्शन और टाइम देता है। अगर मांगी गई रकम नहीं चुकाई गई तो निर्धारित समय के बाद यह कम्प्यूर में मौजूद अनेक गोपनीय फाइलों को नष्ट कर देता है। यानी आपका कम्प्यूटर खराब कर देता है।

रोज हैक होती हैं 30 हजार वेबसाइट्स

वेबसाइट स्टॉप द हैकर की 2011 की रिपोर्ट के अनुसार, हर दिन 30 हजार वेबसाइटों को हैक किया जाता जिनमें अधिकांश हैकिंग वायरस छोटे या कम प्रभावित करने वाले होते हैं।

एक ट्रिलियन डॉलर की चोरी होती है हर साल 

एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2008 में 1 ट्रिलियन डॉलर कीमत की निजी संपत्ति हर साल साइबर हैकिंग के जरिये चोरी होती है।

भारत में हैं 7 लाख वेबसाइट्स

2014 में आए नेटक्राफ्ट के सर्वे के मुताबि दुनिया में एक बिलियन यानी एक अरब वेबसाइट्स मौजूद हैं। वहीं अमेरिका में सबसे ज्यादा यानी आठ करोड़ से ज्यादा वेबसाइट्स हैं। वेबसाइटों की संख्या के मामले में भारत 16 नंबर है और यहां 691262 वेबसाइट्स हैं।

हैकिंग और हैकर्स

हैकिंग दो प्रकार की होती है। पहली एथिकल और दूसरा डाटा चुराने और एप्लीकेशन को खराब करने की। एथिकल हैकर्स किसी एप्लीकेशन या साफ्टवेयर को हैक कर उसकी सुरक्षा समेत कई खामियों को निकालते हैं। ताकि एप्लीकेशन को पहले से ज्यादा दुरुस्त किया जा सके। उदाहरण के लिए 2 दिसंबर 2016 को 22 साल के युवक जावेद खत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एनएम एप हैक लिया था। जावेद ने इस बारे में प्रधानमंत्री ऑफिस को जानकारी और उसमें मौजूद सुरक्षा खामियों को बताया था।

लुटेरे हैकर्स : लुटेरे हैकर्स वो होते हैं जो किसी का निजी डाटा जैसे बैंक डिटैल्स आदि चुराने के लिए हैकिंग करते हैं। कुछ हैकर्स अपने प्रतिद्वंती का नुकसान पहुंचाने के लिए या गोपनीय सूचनाएं चुराने के लिए हैकिंग करते हैं। कभी कभी तो धमकी देने के लिए भी हैकिंग की जाती है। उदाहरण के लिए 26 अप्रैल को पाकिस्तान के कुछ हैकर्स ने आईआईटीबीएचयू्, दिल्ली विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय समेत 10 विश्वविद्यालयों की वेबसाइट हैक की और कश्मीर को भी पाकिस्तान बनाने की धमकी दी थी।
यहां है सबसे ज्यादा हैकिंग का खतरा-

आईबीएम के सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर अभिषेक सिंह के अनुसार, हैकिंग का सबसे ज्यादा खतरा ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स, ऑनलाइन बैंकिंग, ऑनलाइन पेमेंट वेबसाइटस और बैंकिंग एप पर सबसे ज्यादा खतरा है। क्योंकि हैकर यहां से आपके बैंक अकाउंट की डिटेल्स लेकर आपके अकाउंट से पैसे निकाल कसते हैं। अगर आप क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड के जरिए भी ऑनलाइन पेमेंट करते हैं तो यहां भी आपकी कार्ड की सूचनाएं चोरी की जा सकती हैं। अभिषेक सिंह ने बताया कि सोशल मीडिया के जरिए वायरस तेजी से फैलता है लेकिन सोशल मीडिया अकाउंट हैक होने की संभावनाएं कम रहती हैं क्योंकि यहां से हैकर्स को ज्यादा कुछ मिलने वाला नहीं होता।

hacking

वायरस से ऐेसे बचें-

हैकर्स आपकी बैंकिंग डिटेल्स और पर्सनल सूचानांए चोरी करने के लिए ईमेल या अन्य माध्यमों से ट्रोजर भेजते हैं। ट्रोजर अप्लीकेशन रीड करने वाला एक कोड है जिसे क्ल्कि करने पर अप्लीकेशन की एक्सेस मिल जाती है। उदाहरण के लिए आप किसी बैंकिंग या शॉपिंग साइट पर पेमेंट कर रहे हैं तो तो आपको यहां ब्लिंक करने वाला कोई लिंक दिखता है। यह आमतौर पर हाईलाइटेड या ब्लिंक करने वाला लिंक होता है जिसे क्लिक करने की अपील की जाती है। अगर आप इस लिंक को क्लिक कर देते हैं तो वायरस को आपके एप्लीकेशन की एक्सेस मिल जाती है और आपका एप्लीकेशन हैक हो जाता है। इसलिए पहली और सबसे जरूरी सावधानी यही है कि आप किसी गैरजरूरी लिंक पर क्लिक न करें – अभिषेक सिंह, सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर, आईबीएम

सावधानियां-

हैकिंग से बचने के लिए फूलप्रूफ कोई तरीका नहीं है लेकिन फिर कुछ सावधानी अपनाकर काफी हद तक हैकिंग से बच सकते हैं।

स्पैम मेल पर क्लिक न करें-

मेल के स्पैम बॉक्स में आने वाली अनावश्यक ई मेल्स को क्लिक न करें। स्पैम मेल को बिना खोले ही डिलीट करें। मेल पर दिख रहे किसी भी अनावश्यक या ध्यान खींचने वाले लिंक पर क्लिक न करें।
एंटी वायरस : अपने कम्प्यूटर और मोबाइल पर एंटी वायरस लगवाएं।
एप लॉकर लगाएं : अपने बैंकिंग एप या अन्य जरूरी एप्स पर कोई प्रमाणिक एप लॉकर लगाएं।

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