डिफेंस कॉरिडोर के लिए यूपी सरकार और नौसेना में हुआ करार, सीएम ने किए हस्‍ताक्षर

लखनऊ। योगी सरकार ने डिफेंस कॉरिडोर को लेकर गुरुवार को नेवल टेक्नोलॉजी एक्सिलरेशन काउंसिल (एन-टीएसी) के लोकार्पण एवं एन-टीएसी एवं प्रदेश की निर्माण इकाई यूपीडा के मध्य एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।

इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत विजन में नवोचार और स्वेदशीकरण की तरफ हम सभी का ध्यान आकर्षित किया है। इस दृष्टि से हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी मेक इन इंडिया की तर्ज पर 101 रक्षा उपकरणों का देश में ही उत्पादन करने का निर्णय किया है। इन 101 उपकरणों की सूची में उच्च प्रौद्योगिकी आधारित अनेक हथियार प्रणालियां तथा देश के रक्षा बलों की जरूरतों को पूरा करने वाली विभिन्न वस्तुएं भी शामिल हैं। इस निर्णय से स्वदेशीकरण के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी, साथ ही देश का रक्षा उद्योग भारतीय सशस्त्र बलों की जरूरत के अनुरूप अपने आप को तैयार कर सकेगा।

उन्होंने कहा कि नेवल इनोवशन एंड इण्डीजनाइजेशन आर्गनाइजेशन की स्थापना से भारतीय नौसेना में इनोवेशन के साथ-साथ स्वदेशीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा। भारतीय नौसेना और यूपीडा के बीच एमओयू हस्ताक्षरित होने के साथ ही दोनों के मध्य औपचारिक रूप से संपर्क स्थापित करने में भी मदद मिलेगी। एमओयू हस्ताक्षरित होने से भारतीय नौसेना डिफेंस कॉरिडोर में स्थापित होने वाले सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस के सहयोग से अपनी समस्याओं के समाधान तलाश सकेगी। इसके अतिरिक्त भारतीय नौसेना द्वारा डिफेंस कॉरिडोर में इकाई स्थापित करने की संभावनाएं भी आगे बढ़ सकती हैं। उत्तर प्रदेश इस दृष्टि से अत्यंत संभावना वाला प्रदेश है।

मुख्यमंत्री ने कहा​ कि 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट का शुभारंभ किया था। उस समय उन्होंने प्रदेश के लिए डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग कॉरिडोर के लिए घोषणा की थी। इस दिशा में उत्पादन की प्रक्रिया को गतिमान करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिए जाने वाले विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन और छूट को भी हमने पॉलिसी के माध्यम से आगे बढ़ाया है। सिंगल-विंडो प्रक्रिया के अंतर्गत हमने रक्षा और एयरोस्पेस उत्पादन इकाइयों को भी इसमें समाहित किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा​ कि वर्तमान में अलीगढ़, कानपुर, झांसी और चित्रकूट जनपदों में 1,290 हेक्टेयर से अधिक भूमि का अधिग्रहण इस दृष्टि से किया है। डिफेंस मनुफॅक्चरिंग कॉरिडोर के अलीगढ़ नोड में जितनी भी भूमि हमारे पास मौजूद थी उसे पहले ही निवेशकों को आवंटित किया जा चुका है। यूपीडा ने आईआईटी-बीएचयू और आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापना की कार्यवाही को आगे बढ़ाया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विगत 5 से 9 फरवरी के मध्य डिफेंस एक्सपो का आयोजन हुआ और रक्षा मंत्री राजनाथ ​सिंह के मार्गदर्शन में इस एक्सपो को सफलतम ऊंचाइयों तक पहुंचाने का प्रयास किया गया। 2018 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग कॉरिडोर की घोषणा की थी, उस समय हमें लगता था कि कॉरिडोर में निवेश आएगा भी या नहीं। इस दृष्टि से डिफेंस एक्सपो इंडिया हमारे लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने प्रदेश में डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग कॉरिडोर को साकार करने के लिए पॉलिसी तैयार की, लैंड बैंक बनाया और सारी औपचारिकताओं को आगे बढ़ाने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि रक्षा मंत्री के सहयोग और मार्गदर्शन में 23 निवेशक कम्पनियों के साथ हमारे एमओयू हस्ताक्षरित हुए। इनसे 50,000 करोड़ से अधिक का निवेश उत्तर प्रदेश में आएगा।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर के माध्यम से हमें न केवल औद्योगिक निवेश, विकास और रोजगार के सृजन को आगे बढ़ाने में मदद मिली है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश के विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित हुआ है। आज वैश्विक महामारी कोरोना के बावजूद यहां पर यूपीडा और नौसेना के बीच में जो एमओयू होने जा रहा है, वह हमारे लिए इसी प्रकार से और भी उपयोगी सिद्ध होगा।

इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय नौ सेना, यूपीडा, ‘रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी’ और ‘मेकर विलेज’ की यह संयुक्त पहल, रक्षा स्वदेशीकरण और नवोन्मेष को एक नई दिशा, एक नया आयाम देगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने ‘आपदा को अवसर’ में बदलने के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत’ का मार्ग दर्शाया है। नवोन्मेष और स्वदेशीकरण इस प्रयास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इन के आधार पर ही रक्षा में आत्मनिर्भरता की नींव रखी जा सकती है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि हमे मालूम है कि सभी स्टेकहोल्डर्स को रक्षा में आत्मनिर्भरता के ऑबजेक्टिव को प्राप्त करने के लिए एक साथ कदम-से-कदम मिला कर कार्य करना होगा। सहयोग, समन्वय और नई भागीदारी इस के लिए महत्वपूर्ण होंगे। आज जिन एमओयू पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं वे एजुकेशनल,यूनिवर्सिटीज से जुड़े इनक्यूबेशन सेन्टर्स, इंडस्ट्रीयल बॉडीज और डिफेंस इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर के साथ हैं।

उन्होंने कहा कि आज का कार्यक्रम केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच एक सहयोग भी है। जिन संस्थाओं के साथ आज एमओयू हस्ताक्षरित होने जा रहे हैं, उनमें सम्बंधित राज्य सरकारों, जैसे यूपी, गुजरात और केरल की सरकारों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह कोऑपरेटिव फेडरलिज्म का एक अच्छा उदाहरण है। यूपीडा के तहत उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर ने यह चुनौती स्वीकारी है और हमें बहुत जल्द परिणाम भी देखने को मिलेंगे।

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