डाॅक्टरों ने राजस्थान में आज राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में महाबंद का आह्वान किया…

डाॅक्टरों ने राजस्थान में आज राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में महाबंद का आह्वान किया है। माना जा रहा है कि महाबंध में सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक भी शामिल होने जा रहे है। लेकिन चिकित्सा विभाग ने सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों को लेकर एक आदेश जारी किया गया है। इसके तहत सरकारी चिकित्सक यदि इस बंद में शामिल होते हैं, तो उन पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार ने मरीजों को किसी भी प्रकार के अप्रिय हालात से बचाने के लिए मेडिकल कालेजों के लिए जूनियर रेजिडेंट्स के 1000 पद स्वीकृत किए है। सभी मेडिकल काॅलेजों के प्राचार्यों को आझ की इंटरव्यू लेने के निर्देश दिए है। इनकी नियुक्ति 6 महीने के लिए की जा रही है। इससे पहले सोमवार को डाॅक्टरों ने राजधानी जयपुर में बड़ा प्रदर्शन किया था। 

जूनियर रेजिडेंट्स के 1000 पद स्वीकृत किए

चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए गए आदेश में मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी सूरत में चिकित्सकों के अवकाश स्वीकृत नहीं किए जाएं। आदेश में लिखा गया है कि राज्य में वर्तमान में निजी चिकित्सालयों का संचालन बंद होने के कारण मरीजों को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। यह भी देखने में आया है कि राजकीय चिकित्सालयों में भी चिकित्सा सेवाएं बाधित हो रही हैं। चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य यह सुनिश्चित करें कि सभी आवश्यक सेवाएं विशेष रूप से ओपीडी, आईपीडी, आईसीयू आपातकालीन सेवाएं एवं स्त्री एवं प्रसूति रोग से संबंधित सेवाएं निर्बाध रूप से चलती रहे। चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य दैनिक रूप से चिकित्सक शिक्षकों, चिकित्सकों, रेजिडेन्ट्स, पेरामेडिकल एवं नर्सिंग स्टाफ की उपस्थिति निर्धारित प्रपत्र में प्रातः 09ः30 बजे तक विभाग को भिजवायें। समस्त चिकित्सक शिक्षकों, चिकित्सकों, रेजिडेन्ट्स, पेरामेडिकल एवं नर्सिंग स्टाफ को केवल विशेष परिस्थितियों में ही प्रधानाचार्य/अधीक्षक द्वारा ही अवकाश स्वीकृत किया जा सकेगा एवं इसकी सूचना भी विभाग की अविलम्ब उपलब्ध करायी जाए।

स्वास्थ्य मंत्री बोले- बिल वापस नहीं होगा

परसादी लाल मीणा ने कहा कि चिकित्सकों को कोई अधिकार नहीं है कि वह बिल को वापस लेने की मांग करें. उन्होंने कहा कि अस्पतालों में सरकारी चिकित्सक अभी भी काम कर रहे हैं. यदि वे कामकाज बंद करते हैं तो फिर सरकार भी सख्ती करेगी. विधानसभा में सभी सदस्यों ने एक स्वर में बिल पास किया है. आंदोलनरत चिकित्सक अपने आपको कानून से ऊपर न समझें. कानून लाने से पहले सभी चिकित्सकों से बातचीत की गई थी, उनकी हर बात को कानून में शामिल किया गया है. लेकिन अब चिकित्सक वादाखिलाफी कर रहे हैं जो बर्दाश्त से बाहर है. चिकित्सकों के आंदोलन से जनता के बीच सरकार की नेक मंशा पर सवाल उठ रहे हैं. इसलिए उन्होंने स्पष्ट किया की राइट टू हेल्थ बिल वापस नहीं लिया जाएगा. हालांकि चिकित्सा मंत्री ने यह कहा है कि सरकार की ओर से वार्ता के द्वार खुले हैं और हड़ताल कर रहे चिकित्सक कभी भी सरकार के साथ वार्ता कर सकते हैं।

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