टेलिकॉम इंडस्ट्री में कंसॉलिडेशन की लहर से 25,000 नौकरियों पर संकट

टेलिकॉम इंडस्ट्री में काम करने वाले 45 साल के इस शख्स को लग रहा था कि अब उनकी लाइफ सेटल हो गयी है। मिसाल के लिए, वह विदेश में बेटे की म्यूजिक पढ़ने की इच्छा आसानी से पूरी कर सकते थे, लेकिन पिछले कुछ महीनों में सब कुछ बदल गया। टेलिकॉम इंडस्ट्री में कई अन्य लोगों की तरह उन्हें भी नौकरी जाने का डर सता रहा है। आप इसे टेलिकॉम इंडस्ट्री में अब तक के सबसे बड़े कंसॉलिडेशन की लहर की कीमत कह सकते हैं।

टेलिकॉम इंडस्ट्री में काम करने वाले 45 साल के इस शख्स को लग रहा था कि अब उनकी लाइफ सेटल हो गयी है। मिसाल के लिए, वह विदेश में बेटे

एक्सपर्ट्स और इंडस्ट्री एग्जिक्युटिव्स के बीच इस पर मतभेद है कि कंसॉलिडेशन की वजह से कितनी नौकरियां जाएंगी, लेकिन बड़े पैमाने पर छंटनी से कोई इनकार नहीं कर रहा। टेलिकॉम कंपनियों के रेवेन्यू का 4 से 4.5 प्रतिशत स्टाफ पर खर्च होता है, लेकिन इसकी असल चोट सेल्स और डिस्ट्रीब्यूशन सेगमेंट पर पड़ेगी।

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एक एचआर हेड ने यह बात कही। उन्होंने बताया कि बड़ी कंपनियों में आमदनी की 22 पर्सेंट तक सेल्स और डिस्ट्रीब्यूशन लागत है। सेक्टर की आमदनी सालाना 1.3 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जिससे स्टाफ कॉस्ट करीब 34,000-35,000 करोड़ रुपये बैठती है।

 
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