ज्यादा घातक हुआ कोरोना वायरस : अब युवा और पूरी तरह स्वस्थ्य लोगों की जा रही जान

 
भारत समेत पूरा विश्व इस वक्त कोरोना वायरस की चपेट में है। अभी तक कोरोना वायरस के संक्रमण का अधिक प्रभाव बुजुर्गों और छोटे बच्चों में देखने को मिल रहा था। लेकिन समय बीतने के साथ कोरोना वायरस और भी घातक होता जा रहा है। अब नौजवान और पूरी तरह स्वस्थ्य लोग तेजी से इस वायरस से संक्रमित हो रहे हैं।
कुछ जानकारों का कहना है कि जब ये कहा गया कि कोरोना से बुजुर्गों को अधिक खतरा है तो नौजवानों से इसे गलत तरीके से समझा। कई देशों में नौजवानों ने पाबंदियों को नहीं माना और वे पार्टी करते रहे। इसकी वजह से भी कोरोना का संक्रमण फैलने में मदद मिली। लेकिन अब कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें स्वस्थ नौजवानों की भी कोरोना से मौत हो गई।
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तरी लंदन में रहने वाले एडम हार्किन्स बिल्कुल फिट थे। उनकी उम्र महज 28 साल थी, लेकिन अब उनका नाम कोरोना से जान गंवाने वाले सबसे कम उम्र के लोगों में शामिल हो गया है। उन्हें इंड्यूस्ड कोमा में रखा गया था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनकी मां जैकी ने कहा कि वह बिल्कुल स्वस्थ था।
वहीं, भारतीय मूल की पूजा शर्मा बर्मिंघम में रहती थीं। 33 साल की पूजा की मौत भी कोरोना से हो गई है। एक दिन पहले ही उनके पिता सुधीर शर्मा की भी मौत कोरोना से हो गई थी।
हालांकि, कोरोना वायरस के कुल मृतकों की संख्या का विश्लेषण करें तो कहीं बड़ी संख्या बुजुर्गों की है। लेकिन कोरोना अब नौजवानों की भी जानें ले रहा है। जानकारों का कहना है कि जिन देशों में स्वास्थ्य सेवाएं अच्छी नहीं हैं, वहां और अधिक लोगों की मौत हो सकती है।
कई रिपोर्टों में इस तरह के दावे किए गए हैं कि ज्यादातर नौजवानों को कोरोना से मामूली बुखार जैसे लक्षण ही दिखेंगे या कुछ में हल्के लक्षण भी नहीं होंगे। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोज ए गेब्रियेसुस ने भी पिछले हफ्ते कहा है कि महामारी में नौजवान और स्वस्थ लोग अपराजेय नहीं रहेंगे। बुजुर्ग सबसे अधिक पीड़ित होंगे, लेकिन नौजवानों को कोरोना नहीं छोड़ेगा।
एक आंकड़े के मुताबिक, अमेरिका में हॉस्पिटल में भर्ती किए गए 500 मरीजों में 20 फीसदी यानी कि करीब 100 लोग, 20 से 44 साल की उम्र के थे। कोरोना को लेकर आईसीयू में भर्ती होने वाले हर 10 में से एक व्यक्ति भी नौजवान होता है।

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