जो है नाम वाला वही तो बदनाम है

twittertrolling_11_04_2016ट्रॉलिंग हमारे वक्त की एक सच्चाई बन चुका है। रविवार को दो लोग अच्छे-बुरे कारणों से सोशल मीडिया पर ट्रॉल के शिकार हुए : अपने एंजेल म्यूजिक वीडियो के लिए पाकिस्तानी गायक ताहिर शाह और मुकेश अंबानी के सुपुत्र अनंत अंबानी। क्रिकेटर विराट कोहली और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा तो जैसे ट्रॉलर्स के चहेते हैं। हाल ही में इन दोनों के कथित पैचअप की खबर आई और छाई रही। उससे पहले उनके ब्रेकअप की खबर वायरल होती रही थी। विराट के प्रदर्शन को अनुष्का से इस हद तक जोड़कर देखा जाने लगा था कि आखिरकार तंग आकर विराट को कहना पड़ा था कि अनुष्का पर मजाक करने वालों को शर्म आनी चाहिए!

मनोविश्लेषक सोशल मीडिया पर टीका-टिप्पणी और छींटाकशी की प्रवृत्ति को गिग्स सिंड्रोम कहकर पुकारते हैं। यह गिग्स सिंड्रोम लगातार बढ़ता जा रहा है। एक मायने में यह सेलेब्रिटी और आमजन के बीच के अब तक बेमाप फासले को पाट देने के कारण भी संभव हुआ है। पहले आमजन सेलेब्रिटी तक पहुंच नहीं पाता था और उसे एक दूरी से ही देख पाता था। अब वह सोशल मीडिया पर सीधे उससे मुखातिब होता है। उसके साथ दुर्व्यवहार कर वह अपनी हीनता और कुंठा को भी संतुष्ट कर सकता है, क्योंकि सोशल मीडिया पर आप अदृश्य होते हैं या आभासी उपस्थित होते हैं, भौतिक रूप से आमने-सामने नहीं होते। ये वे लोग हैं, जो भीड़ में एक शब्द नहीं बोल सकते, लेकिन सोशल मीडिया पर आपके ऊपर अपशब्दों की बौछार कर देते हैं। गिग्म सिंड्रोम का नाम जिस गिग्स नामक चरवाहे के आधार पर हुआ है, उसके बारे में कहा जाता है कि उसके पास एक जादुई अंगूठी थी, जिसको पहनकर वह अदृश्य हो जाता था और फिर जो मन आए, वह करता था। टि्वटर ट्रॉल के जनक भी ऐसे ही अदृश्य चरवाहे होते हैं।

टि्वटर ट्रॉल की एक अन्य शिकार अभिनेत्री आलिया भट्ट कहती हैं ये बुजदिल किस्म के लोग होते हैं, जो परदे के पीछे से वार करते हैं। सलमान खान को भी अपने प्रशसंकों से यह अनुरोध करने पर विवश होना पड़ा था कि वे टि्वटर पर उनके प्रतिद्वंद्वी अभिनेताओं शाहरुख खान और आमिर खान का मखौल उड़ाना बंद करें।

दिक्कत यह है कि सेलेब्रिटी को सेलेब्रिटी बनाने वाले ये आम लोग ही होते हैं, इसलिए एक सार्वजनिक संवाद या मौजूदगी बनाए रखना उनके लिए जरूरी है। लेकिन इसी के चलते वे लोगों के सीधे निशाने पर भी आ जाते हैं। सभी साइबर-सिटीजंस के पास सीधे सेलेब्रिटीज तक ऑनलाइन पहुंच होती है। इसमें कहीं कोई रोक नहीं होती। पूर्व-डिजिटल दुनिया में मीडिया ही सितारों और आमजन के बीच का माध्यम हुआ करता था। अगर उनकी कोई गलत बात सार्वजनिक दायरे में पहुंचती तो वे इसके लिए मीडिया की गलतबयानी को दोष दे सकते थे। अब वे अपने प्रशंसकों के सीधे संपर्क में होते हैं। इसका एक फायदा यह है कि अब उन्हें अपनी सूचनाएं सार्वजनिक करने के लिए मीडिया पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। इसका दूसरा पहलू यह है कि वे उनके सामने पूरी तरह एक्सपोज होते हैं और उनसे बच नहीं सकते।

साथ ही यह भी कि मीडिया के पेशेवर पत्रकारों की तुलना में सोशल मीडिया पर मौजूद प्रशंसकगण इतने परिष्कृत नहीं होते। यही कारण है कि जब आलिया भट्ट पृथ्वीराज चव्हाण को देश का राष्ट्रपति बता देती हैं तो सोशल मीडिया निर्ममता से उन पर टूट पड़ता है। अनगिनत चुटकुले उन्हें लेकर बनाए जाते हैं। यही आलोक नाथ, टाइगर श्राफ और बॉबी देओल के साथ भी अलग-अलग कारणों से होता है। इसी तरह सोनम कपूर द्वारा बीफ बैन के संदर्भ में एक शब्द का गलत उच्चारण करने पर उनका खूब मखौल उड़ाया गया था। उन्होंने इसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। शायद इस डर से कि इससे उन पर और हमले किए जाएंगे। अभिनेता अभिषेक बच्चन इससे भिन्न् हैं। वे पलटकर जवाब देते हैं और देर तक बहस भी करते रहते हैं।

दिक्कत यह है कि सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले लोग सेलेब्रिटीज को आम इंसानों की तरह नहीं देखते। इसलिए वे कभी यह समझ ही नहीं पाते कि वे भी आम मनुष्यों की ही तरह महसूस करते हैं। और चूंकि वे भौतिक रूप से उनके सामने नहीं होते, इसलिए वे शब्दों के माध्यम से ही संप्रेषण करते हैं। वे उनकी देहभाषा व आवाज के उतार-चढ़ाव को देख-सुन नहीं पाते। इससे अनेक भ्रम निर्मित होते हैं। यही भौतिक दूरी उन्हें सुरक्षा का अहसास भी देती है।

सोशल मीडिया पर बहुत-से ऐसे लोग भी सक्रिय रहते हैं, जो सैडिज्म, नार्सिसिज्म या मैकियावेलिज्म जैसी मनोग्रंथियों से पीड़ित हों, जबकि बहुतेरे अन्य केवल मौज-मजे के लिए सेलेब्रिटी की टांग खींचते हैं। वास्तव में सोशल मीडिया ने निजी और सार्वजनिक स्पेस की सीमारेखाओं को धुंधला दिया है। इंटरनेट पर ही अब रिश्ते बनते हैं और ऑनलाइन ही ब्रेकअप भी हो जाता है। लोग अपनी निजी तस्वीरें फेसबुक, इंस्टाग्राम, टि्वटर पर शेयर करते रहते हैं। बहुतेरे लोगों के फेसबुक पर सैकड़ों फ्रेंड्स होते हैं, जिनमें से बहुतों को वे जानते तक नहीं। इससे निजता की सार्वजनिकता का एक अजब घालमेल हो जाता है। यह सेलेब्रिटीज के लिए विशेष तौर पर सच है।

वास्तव में अब तो सेलेब्रिटी शब्द के मायने भी बदल रहे हैं। सोशल मीडिया के अपने ही सितारे हैं। उनकी अपनी फैन फॉलोइंग निर्मित हो जाती है। दरअसल आज एक साइबर सिटीजन होना हर सेलेब्रिटी के लिए जरूरी हो गया है। हाल-फिलहाल में तो ऐसा होता नजर नहीं आता कि डिजिटल दुनिया से वे नाता तोड़ने वाले हों। टि्वटर ट्रॉल की खबरें हमें आगे भी मिलती रहेंगी।

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