जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो….

अपनी मधुर संगीत लहरियों से लगभग चार दशक तक श्रोताओं को दीवाना बनाने वाले रवि का नाम एक ऐसे संगीतकार के रूप में याद किया जाता है जिनके संगीतबद्ध गीत को सुनकर श्रोताओं के दिलों से बस एक ही आवाज निकलती है, “जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो” संगीतकार रवि जिनका मूल नाम रवि शंकर शर्मा था।
उनका जन्म 03 मार्च 1926 को हुआ था।
बचपन के दिनों से ही रवि का रूझान संगीत की ओर था और वह पार्श्वगायक बनना चाहते थे हालांकि उन्होंने किसी उस्ताद से संगीत की शिक्षा नहीं ली थी।
पचास के दशक में बतौर पार्श्वगायक बनने की तमन्ना लिये रवि मुंबई आ गये।
मुंबई में रवि की मुलाकात निर्माता-निर्देशक देवेन्द्र गोयल से हुयी जो उन दिनों अपनी फिल्म ‘वचन’ के लिये एक संगीतकार की तलाश कर रहे थे ।
देवेन्द्र गोयल ने रवि की प्रतिभा को पहचान उन्हें अपनी फिल्म ‘वचन’ में बतौर संगीतकार काम करने का मौका दिया।
अपनी पहली ही फिल्म वचन में रवि ने दमदार संगीत देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
वर्ष 1955 में प्रदर्शित फिल्म ‘वचन’ में गायिका आशा भोंसले की आवाज में रचा बसा यह गीत “चंदा मामा दूर के पुआ पकाये गुर के” उन दिनों काफी सुपरहिट हुआ।
यह गीत आज भी बच्चों के बीच काफी शिद्धत के साथ सुना जाता
है।
फिल्म वचन की सफलता के बाद रवि कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये।
अपने वजूद को तलाशते रवि को फिल्म इंडस्ट्री में सही मुकाम पाने के लिये लगभग पांच वर्ष इंतजार करना पड़ा।

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