जीव और ब्रह्म मिलन ही महारास है : कथा व्यास स्वामी यदुनन्दनाचार्य

लखनऊ।  श्रीमद् भागवत कथा में शुक्रवार को आचार्य पीठ सेवाकुंज श्रीधाम वृन्दावन के कथा व्यास पूज्य युवराज स्वामी यदुनन्दनाचार्य जी महाराज ने रासलीला प्रसंग सुनाया।सनातन महासभा की ओर से झूलेलाल वाटिका में गोमती महोत्सव में श्रीमद् भागवत कथा चल रही है।
महारास लीला के द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ
 कथा व्यास ने  कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आव्हान किया । इसी महारास लीला के द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। जीव और ब्रह्म के मिलने को ही महारास कहते है। कथा में भजन ‘में तो सुन मुरली की तान दौड़ आई सांवरिया’ पर श्रोताओं ने भाव विभोर होकर नृत्य किया। उन्होंने कहा कि रास का तात्पर्य परमानंद की प्राप्ति है जिसमें दुःख, शोक आदि से सदैव के लिए निवृत्ति मिलती है।

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भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों को रास के माध्यम से सदैव के लिए परमानंद की अनुभूति करवाई। बाद में स्वामी यदुनन्दनाचार्य जी महाराज ने छप्पन भोग की कथा सुनाकर भाव विभोर कर दिया।

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