जिन जिन लोगों ने अपनाई चाणक्य की ये नीतियाँ उन्हें हर जगह मिली सफलता

आचार्य चाणक्य के बारे में किसी को कुछ बी बतानें की जरुरत नहीं है। उनकी विद्वता के डंके उस समय भी पुरे विश्व में बजते थे और आज भी बजते हैं। भारत में आज भी जो सबसे ज्यादा बुद्धिमान व्यक्ति होता है, उसे चाणक्य की ही संज्ञा दी जाती है। तो आप समझ सकते हैं कि चाणक्य कितनें महान थे। आज भी आचार्य चाणक्य अणि कृतियों और ज्ञान की वजह से लोगों के बीच जीवित हैं।

चाणक्य को माना जाता है नीतिशास्त्र का ज्ञाता:

आचार्य चाणक्य ही थे जिनकी बदौलत चन्द्रगुप्त ने मौर्य वंश की स्थापना की। चन्द्रगुप्त मौर्य की चाणक्य ने नन्द वंश का नाश करनें में साथ दिया। उनके ही मार्गदर्शन से चन्द्रगुप्त ने विजय प्राप्त की। चाणक्य उस समय कई विषयों के विद्वान मानें जाते थे। पुरे विश्व के सबसे पहले अर्थशास्त्री यही थे। हालांकि आज भी इन्हें नीतिशास्त्र का ज्ञाता माना जाता है। इन्होने जीवन की कई उपयोगी और बहुमूल्य नीतियों के बारे में बताया है।
इनकी नीतियाँ आज भी लोगों के जीवन को प्रकाशमय करनें का काम कर रही हैं। सदियाँ बीत जानें के बाद भी आज उनकी नीतियाँ उतनी ही प्रभावशाली हैं, जितनी उस समय हुआ करती थी। जो उनकी नीतियों का पालन करता है उसके जीवन में किसी तरह का कोई कष्ट नहीं होता है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में कई कटु सत्यों का भी उल्लेख किया है। ये नीतियाँ व्यक्ति को सत्यता का बोध करवाती हैं। ये बर्बादी से भी बचाती हैं।
पालन करें चाणक्य की इन नीतियों का:

आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी भी व्यक्ति को जरुरत से ज्यादा इमानदार भी नहीं होना चाहिए। जिस तरह से सबसे सीधा तनकर खड़ा पेड़ सबसे पहले कटता है, ठीक उसी तरह जीवन में सबसे सीधे व्यक्ति को सबसे ज्यादा कष्ट झेलनें पड़ते हैं।
अपने रहस्य भूलकर भी किसी और को नहीं बताना चाहिए। जिन लोगों के अन्दर यह आदत होती है, उनका जीवन कभी भी बर्बाद हो सकता है। कई बार कुछ लोग आपके रहस्यों का आपके खिलाफ ही गलत इस्तेमाल करते हैं।
जो धन बहुत ज्यादा कष्ट झेलनें के बाद, अपना धर्म और इमान त्यागनें के बाद या दूसरों को कष्ट देकर मिलता हो, उसे कभी भी स्वीकार नहीं करना चाहिए।
चाणक्य ने कहा है कि जीवन में हर एक चीज के पीछे कारण छुपा होता है। ठीक वैसे ही हर मित्रता के पीछे एक स्वार्थ छुपा होता है। ज्यादातर लोग अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए ही मित्रता करते हैं। यह कड़वा जरुर है लेकिन यही सत्य है।
अपने बच्चों को 5 साल की उम्र तक अच्छे से प्यार-दुलार के साथ पालना चाहिए। जब वो 16 साल के हो जाएँ तो उनके साथ दोस्ती कर लेनी चाहिये।
जो व्यक्ति लालची हो उसे उपहार देकर, कठोर व्यक्ति को हाथ जोड़कर, मुर्ख को सम्मान देकर और विद्वान से सच बोलकर कोई भी काम करवाया जा सकता है।

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