जानें क्या होता हैं विमान में लगा ब्लैक बॉक्स, हादसे के बाद क्यों खोजा जाता हैं इसे…

दुबई से कोझीकोड आ रही एयर इंडिया एक्‍सप्रेस की फ्लाइट जब दुबई से केरल आ रही फ्लाइट AXB1344, B737 लैंडिंग के समय क्रैश हो गई। जिस समय हादसा हुआ उस समय प्‍लेन में 190 यात्री और छह क्रू मेंबर्स थे। अब तक 18 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। एयर क्राफ्ट एक्‍सीडेंट इनवेस्टिगेशन ब्‍यूरो (एएआईबी) को फ्लाइट का ब्‍लैक बॉक्‍स भी मिल चुका है। अब यह पता लगाया जा सकेगा कि आखिर क्रैश से पहले क्‍या हुआ था। लेकिन बेहद कम लोगों को यह बात मालूम होगी कि ब्लैक बॉक्स क्या होता है?

दरअसल, ब्लैक बॉक्स या फ्लाइट रिकार्डर की तरह काम करता है। यह विमान की पल-पल की जानकारी रखता है। यह किसी भी विमान में उड़ान के दौरान होने वाली सभी गतिविधियों को बारीकी से रिकॉर्ड करने वाला उपकरण है। यह वायुयान में पिछले हिस्से फिट होता है। बताना चाहेंगे कि विमान में लगा ‘ब्लैक बॉक्स’ क्यों प्लेन क्रैश के बावजूद सही सलामत बच जाता है। दरअसल, यह टाइटेनियम का बना होता है जो काफी मजबूत धातु मानी जाती है। ब्लैक बॉक्स को टाइटेनियम के एक डिब्बे में बंद करके रखा जाता है। इसी कारण अगर ब्लैक बॉक्स काफी ऊंचाई से गिरता है य तो भी उसे नुकसान नहीं पहुंचता।

फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर: इसमें विमान की दिशा, ऊंचाई , ईंधन कितना है, गति, हलचल, केबिन का तापमान इत्यादि सहित 88 प्रकार के आंकड़े रिकॉर्ड होते हैं। यह 25 घंटों से अधिक की रिकार्डेड जानकारी एकत्रित रखता है। ब्लैक बॉक्स 11000°C के तापमान को एक घंटे तक झेल सकता है और उसके भीतर लगा यंत्र 260°C के तापमान को 10 घंटे तक सहन कर सकता है।

कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर: ब्लैक बॉक्स में लगा यह रिकार्डर फ्लाइट की उड़ान के 2 घंटे के समय की आवाज रिकार्ड करता है। यह इंजन की आवाज, आपातकालीन अलार्म की आवाज, केबिन की आवाज और कॉकपिट की आवाज और फ्लाइट कंट्रोल के बीच की बातचीत रिकार्ड करता है। ताकि पता चल सके हादसे के पहले विमान का माहौल कैसा था।

ब्लैक बॉक्स 30 दिनो तक बिना विद्युत के काम कर सकता है। जब यह विमान से अलग होता है तो प्रत्येक सेकंड एक बीप की आवाज/तरंग निकालता है। यह तरंग 30 दिनों तक निकलती है। जिसे खोजी दल 2 से 3 किलोमीटर की परिधि में आसानी से खोज सकते हैं। 15000 फीट गहरे समुंदर में से भी यह तरंगें भेजता रहता है। 

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