जानिए इस कलयुग में कैसे पापियों का नाश करेंगे श्री हरि
हिंदू धर्म में श्री हरि विष्णु को सृष्टि का पालनहारा बताया गया है। इसमें बताया गया है कि भगवान विष्णु संसार के कोने-कोने में मौज़ूद हैं। इसका प्रमाण गीता में देखने को मिलता है, श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि जब-जब धर्म की हानि होगी और अधर्म का बोलबाला बढ़ेगा, तब-तब मैं धरती पर जन्म लेकर और धर्म की स्थापना करुंगा। धार्मिक शास्त्रों में भगवान विष्णु के दस अवतारों का जिक्र मिलता है। इनमें से भगवान के नौ अवतार हो चुके हैं। अब बारी है भगवान ने 10वें अवतार की।
मान्यताओं के अनुसार कलयुग के अंत में भगवान विष्णु का कल्कि रूप में दसवां अवतार होगा। श्रीमद्भागवतपुराण में भगवान विष्णु के सभी अवतारों की कथाएं विस्तार से लिखित रूप में मौजूद हैं। इस ही पुराण के बारहवें स्कंध के द्वितीय अध्याय में प्रभु के कल्कि अवतार के बारे में भी बताया गया है। जिसमें यह कहा गया है कि ‘सम्भल ग्राम’ में विष्णुयश नामक श्रेष्ठ ब्राह्मण के पुत्र के रूप में भगवान कल्कि का जन्म होगा।
कल्कि देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे। भारत में कल्कि अवतार के कई मंदिर भी हैं, जहां भगवान कल्कि की पूजा होती है। यह भगवान विष्णु का पहला अवतार है जो अपनी लीला से पूर्व ही पूजे जाने लगे हैं। जयपुर में हवा महल के सामने भगवान कल्कि का प्रसिद्ध मंदिर है। इसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाया था। इस मंदिर में भगवान कल्कि के साथ ही उनके घोड़े की प्रतिमा भी स्थापित है। पुराणों में वर्णित कथा के आधार पर कल्कि भगवान के मंदिर का निर्माण सन 1739 ई. में दक्षिणायन शिखर शैली में कराया था।