चैत्र नवरात्रि में देवी जी को प्रसन्न करने के लिए इन वास्तु नियमों का जरूर करें पालन

साल भर में आने वाली 4 नवरात्रों में से एक चैत्र नवरात्रि का भी बड़ा महत्व है। 9 दिन चलने वाले इस पर्व की अलग-अलग मान्यताएं बताई गई हैं। इन सभी मान्यताओं के साथ-साथ इस पर्व पर देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। 

इस पर्व को मनाने की तैयारी आपने भी शुरू कर दी होगी। खासतौर पर अगर आप इस पर्व पर घर में कलश स्थापना करती हैं या फिर देवी जी की मूर्ति स्थापित करती हैं तो आपको वास्‍तु के हिसाब से कुछ बातों का ध्‍यान जरूर रखना चाहिए। 

इस बारे में हमारी बात वास्‍तु एवं न्यूमेरोलॉजी एक्सपर्ट डॉक्टर शेफाली गर्ग से हुई है। वह कहती हैं, ‘देवी दुर्गा को पाप विनाशनी कहा जाता है। अगर आप साफ मन से देवी की स्थापना करती हैं और उन्हें पूजती हैं तो आपको मनचाहा फल जरूर प्राप्त होता है। इसके साथ ही आपको वास्‍तु के कुछ नियमों का पालन भी जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से आपके घर में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।’ 

घटस्थापना से जुड़े वास्‍तु नियम 

शास्त्रों में घटस्थापना को बहुत ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण बताया गया है। घटस्थापना से घर में सुख-समृद्धि, वैभव और ऐश्वर्य आदि घर में प्रवेश करता है। इसे मंगल कामनाओं का प्रतीक भी माना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक यह भी बताया गया है कि जो कलश हम घर में स्थापित करते हैं, उनमें ब्रह्मा, विष्णु महेश सहित सभी ग्रह और नक्षत्र, पवित्र नदियां और तैतीस करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। 

शेफाली जी बताती हैं, ‘कलश स्‍थापना हमेंशा ईशान कोण पर ही की जानी चाहिए। वास्‍तु में उत्तर और पूर्व के बीच की दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। इस दिशा में सभी ईश्वर का निवास होता है। इसलिए कलश स्थापना करते वक्त ईशान कोण को हमेशा साफ-सुथरा रखें। यदि आप इस वास्तु नियम का पालन करती हैं तो घर में सभी आरोग्य होते हैं और लक्ष्‍मी जी की कृपा भी बरसती है।’ 

अखंड दीपक 

शास्त्रों में अखंड दीपक का महत्व बताया गया है। यह आर्थिक समृद्धि, सफलता और सकारात्मकता का प्रतीक होता है। यदि घर में आप चैत्र नवरात्रि के वक्‍त अखंड दीपक जलाती हैं, तो इस दीपक का प्रकाश आपके घर में सकारात्मकता भर देता है। 

अखंड दीपक से जुड़े भी कई वास्‍तु नियम हैं, मगर आपको यह दीपक हमेशा आग्नेय दिशा यानि दक्षिण-पूर्व दिशा में ही रखना चाहिए। इस दिशा को बहुत ही गर्म दिशा माना गया है और अखंड दीपक के लिए यह बहुत ही शुभ दिशा है। 

शेफाली जी कहती हैं, ‘मन में सकारात्‍मक भाव होते हैं, तो आपका शरीर हमेशा स्वस्थ रहता है। इतना ही नहीं आपके जीवन में भी चीजें सही ढर्रे पर चलती रहती हैं।’ 

फूलों से जुड़ा वास्‍तु 

नवरात्रि के पर्व में आपको देवी जी पर पीले, लाल और गुलाबी रंग के फूल अर्पित करने चाहिए। वास्तु के हिसाब से यह रंग बहुत ही सकारात्मक प्रभाव डालते हैं और देवी जी को प्रसन्न भी करते हैं। 

शेफाली जी कहती हैं, ‘वास्तु के हिसाब से आपको नवरात्रि भर अपने घर के मुख्य द्वार पर एक पानी के पात्र में खिला हुआ कमल का फूल रखना चाहिए। कमल के फूल में देवी लक्ष्‍मी का वास होता है और जब आप घर में किसी देवी देवता को आमंत्रित करते हैं, तो उनकी पसंद की चीजें करने से आकर्षित होते हैं।’ 

रंगोली बनाएं 

वास्तु के हिसाब से घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाने को बहुत ही शुभ माना गया है। रंगोली साफ-सफाई और सुंदरता का प्रतीक होती है। घर में जब हम किसी अतिथि को आमंत्रित करते हैं, तब हम उसके आगमन की खुशी में रंगोली बनाते हैं। इसलिए नवरात्रि के पर्व पर यदि आप घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बना रही हैं, तो इससे मां लक्ष्‍मी आप से प्रसन्न होती हैं। 

कन्‍या भोज 

अगर आपकी श्रद्धा हो तो आप नवरात्रि के पूरे 9 दिन घर में कन्या भोज कर सकती हैं या फिर आप नवरात्रि के आखिरी 3 दिनों में कन्या भोज करके देवी दुर्गा को प्रसन्न कर सकती हैं। आपको बता दें कन्या को दान करना और पसंद का भोजन कराने से आपके घर में कभी भी अन्न-धन की कमी नहीं होती है। 

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