गृह मंत्रालय ने फोर्ड फाउंडेशन पर निगरानी रखने का फैसला लिया वापस

ford-foundation_landscape_1458459074एजेन्सी/गृह मंत्रालय ने विदेशी सामाजिक संगठन ‘फोर्ड फाउंडेशन’ की फंडिंग पर निगरानी रखने के आदेश को वापस लेने का फैसला किया है। मंत्रालय का यह फैसला अमेरिका के वाशिंगटन में आयोजित होने जा रहे न्यूक्लियर समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत करने से ठीक पहले आया है।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक मंत्रालय ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को पत्र लिखकर इस अंतरराष्ट्रीय सामाजिक संस्था पर से निगरानी हटाने की बात कही। भारत में संस्था से जुड़े लेन-देन पर पिछले साल से निगरानी रखी जा रही थी। यह फैसला गुजरात सरकार के निवेदन के बाद किया गया था जिसमें सरकार ने सामाजिक कार्यकत्री तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ ‘देश विरोधी’ कार्य करने और फोर्ड फाउंडेशन द्वारा उसकी फंडिंग करने का आरोप लगाया था।

गुजरात सरकार के मुताबिक फोर्ड फाउंडेशन तीस्ता की संस्था सबरंग ट्रस्ट और सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस के लिए फंडिंग करती थी। इसके लिए सरकार ने विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत केंद्र सरकार से इन दोनों संगठनों के लाइसेंस को रद्द करने की मांग भी की थी।

अप्रैल 2015 में गृह मंत्रालय ने फोर्ड फाउंडेशन को ‘पूर्व अनुमोदन श्रेणी’ के अंतर्गत रखते हुए उसके लेन-देन पर निगरानी रखने लगी। पूर्व अनुमोदन श्रेणी के तहत भारत में किसी भी संस्था को धन मुहैया कराने के पहले संगठन को पहले भारत सरकार से अनुमति लेनी होगी और उसे फंडिंग का पूरा ब्यौरा भी देना होगा। इतना ही नहीं ‘राष्ट्र विरोधी’ फंडिंग के आरोप में फोर्ड फाउंडेशन की गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा के अंतर्गत गृह मंत्रालय के रडार पर भी थी।

निगरानी सूची से फोर्ड फाउंडेशन का नाम हटा लेने के बाद अब किसी भी बैंक को सरकार इस धनराशि को जारी करने से पहले सरकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मंत्रालय के इस फैसले को एक तरह का कूटनीतिक दबाव भी माना जा रहा है।

आपको बता दें कि फोर्ड फाउंडेशन 1952 से ही देश में अपनी सेवाएं दे रहा है लेकिन वह देश के किसी भी सामाजिक एक्ट के तहत एक एनजीओ के रूप में पंजीकृत नहीं था। फेमा के तहत आवेदन करने के बाद पिछले साल के दिसंबर महीने में आरबीआई में इसके एक ब्रांच का पंजीकरण करवाया गया था।

 
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