गांधी जयंती विशेष: सामाजिक-आर्थिक विषमता और शोषण के रहते समाज में शांति सम्भव नहीं

1977-78 में हम गांधी की इज्जत तो करते थे लेकिन उनको क्रांतिकारी नहीं मानते थे। लेकिन जब सामाजिक वास्तविकताओं से रुबरु होने लगे और जमीनी संघर्षों में जूझने लगे तो समझ में आने लगा कि जिस रास्ते पर हमलोग बढ़ रहे हैं वह तो गांधी का ही रास्ता है।

Back to top button