गरीबी बनी लाचारी, पौत्र की लाश को कंधे से लगाकर घूमता रहा वृद्ध, नहीं मिला शव वाहन

सुलतानपुर। इंसानियत उस समय शर्मशार हो गयी, जब शव को घर ले जाने के लिए अस्पताल कर्मियों ने 1800 रूपये मांगे। गरीबी की लाचारी के चलते बुजुर्ग लोगों से मदद मांगता रहा, लेकिन किसी ने भी इंसानियत नहीं दिखाई। बदले में उसे जलालत झेलनी पड़ी। अस्पताल प्रशासन ने उसे जल्द परिसर से निकलने का फरमान सुना दिया। आखिरकार बुजुर्ग अपनी पत्नी के साथ पौत्र के लाश को कंधे से लगाकर घूमता रहा और बस स्टेशन पहुंचा, तो हडकम्प मच गया। बस चालक ने भी लाश ले जाने से मना कर दिया। काफी हो-हल्ला के बीच लोग इकट्ठा हो गये। कुछ समाजसेवी भी सामने आये, लेकिन तब तक पुलिस ने शव के साथ बुजुर्ग और उसकी पत्नी को घर भेजवा दिया था।

दरअसल जौनपुर जिले के सरपतहा थानान्तर्गत उसरौली गांव निवासी रामजस बिन्द अपनी पत्नी सुमित्रा के साथ बीमार पौत्र 5 वर्षीय दिव्यांश के इलाज के लिए सीएचसी कादीपुर पहुंचे। स्थिति गंभीर देख सीएचसी के डाक्टरों ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिये। जहां डाक्टरों ने दिव्यांश को मृत घोषित कर दिया। लाश ले जाने के लिए उसके पास कोई साधन नहीं था। उसने अस्पताल कर्मचारियों से शव वाहन या एम्बुलेन्स देने की फरियाद लगायी, लेकिन कोई सुनने के लिए तैयार नहीं हुआ। इसी बीच एम्बुलेन्स से ले जाने के लिए 1800 रूपये मांगे गये।

बुजुर्ग रामयश ने पैसे न होने का हवाला दिया, तो अस्पताल कर्मियों ने तुरन्त परिसर को खाली करने का फरमान सुना दिया। आखिरकार बुजुर्ग ने पौत्र के शव को कंधे से चिपकाकर पैदल ही बस स्टेशन की ओर चल दिया। पत्नी के साथ शव को लेकर वह बस स्टेशन पहुंचा और बस में बैठ गया। परिचालक और चालक को जब शव की जानकारी हुई, तो हडकम्प मच गया। उसे बस से उतार दिया गया। रोते-बिलखते बुजुर्ग की हालत पर किसी को भी तरस नहीं आयी। धीरे-धीरे भीड़ बढ़ने लगी, तो पुलिस भी पहुंची। बुजुर्ग ने लोगों को आपबीती सुनायी। इसी बीच समाजसेवी भी सामने आने लगे, लेकिन पुलिस ने दबाव बनाते हुए शव के साथ पति-पत्नी को बस में बैठाया और घर भेजवा दिया।

गुरूवार को भी शव वाहन न मिलने से घण्टों इमरजेन्सी वार्ड में पड़ा रहा महिला का शव

गुरूवार को भी अस्पताल कर्मियों की संवेदनहीनता का वाकया सामने आया था। आधार कार्ड के नाम पर घण्टो शव इमरजेन्सी वार्ड में पड़ा रहा। कादीपुर के कुम्हीडडिया रानीपुर निवासी अगम सिंह अपने चाचा रवीन्द्र सिंह के साथ अपनी माता 60 वर्षीय मालती का इलाज कराने पहुंचा था। जहां थोड़ी देर बाद मां की मौत हो गयी। इमरजेन्सी कक्ष में लगे इमरजेन्सी शव वाहन के सेवा नम्बर पर अगम सिंह ने फोन कर मदद मांगी। पहली बार नम्बर नहीं उठा, दूसरी बार जब नम्बर उठा, तो चालक असलम ने आईडी मांगी। जब आईडी मिली, तो उसकी फोटोकापी मांगने लगा। रात 02ः00 बजे परिजन फोटो स्टेट के लिए दौड़ने लगे, लेकिन फोटो कॉपी नही हो पायी। सीएमएस को फोन किया गया, तो उन्होंने कहा कि चालक जो कहेगा। वहीं मानना पड़ेगा। फोन करने का कोई समय होता है। कृपया मुझे डिस्टर्ब न करें।

सीएमएस का गैर जिम्मेदाराना बयान, कहा कि मैं फ्रस्टेट हो चुका हूं

अस्पताल कर्मियों के संवेदनहीनता को सीएमएस डा0 प्रभाकर राय ने गैरजिम्मेदाराना बयान दिया। कहा कि बच्चा जिला अस्पताल में मृत अवस्था में आया था। इसलिए उसे शव वाहन नहीं दिया जा सकता। सरकार की गाइड लाइन है कि इलाज के दौरान अस्पताल में मौत होने पर शव वाहन उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने कहा कि मैं यहां के लोगों के व्यवहार से फ्रस्ट्रेट हो चुका हूं। इस दशा में काम नहीं कर पाऊंगा।

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