क्यों वकील काला और डॉक्टर सफेद कोट पहनते है

भी ने देखा होगा की अदालतों की वेशभूषा हमारे यहां अंग्रेजो के समय की है. अंग्रेज भारत छोड़ कर चले गए लेकिन उनकी ये निशानी आज भी जिन्दा है जो हमारी अदालतों में सदियों से चला आ रहा है. ये अंग्रेजो की एक निशानी है इसीलिए क्योंकि यूरोप में न्यायाधीश और वकील लबादे पहनते है. तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि क्या है इनके पीछे की सच्चाई.
आपको बता दे की न्यायाधीश लबादे पहनते है लेकिन इसके अलावा सिर पर खास तरह की टोपी भी पहनते थे. लेकिन अब तक इन कपड़ो पर दुनियाभर में काफी बदलाव हो चुके है. लेकिन हमारे यहां भी यह मांग उठती है कि वकीलों के कपड़ो में बदलाव किया जाए. क्योंकि यहां वकील सफेद कपड़ों पर काले कोट और सफेद रंग की नेक टाई लगाते है, जिसमें दो पट्टियां सामने की ओर लगी होती है. इसे वर्तमान में वकील अपने चिन्ह ( logo ) के तौर पर उपयोग किया करते है.
इस काले और सफेद के पीछे की वजह ये है कि काम की अंतर्विरोध प्रवृत्ति का है. न्याय से जुड़े लोगों को दो विपरीत धारणाओं के बीच में से न्यायपूर्ण निर्णय को अलग करना होता है. जिसमे सफेद और काला रंग दो अलग अलग धारणाओं के प्रतीक है. इसके पीछे एक और वजह ये है की काला रंग सुरक्षा का रंग है और वकील अपने मुवक्किल की रक्षा के लिए प्रयास करता है.
डॉक्टरों के सफेद कोट की शुरुआत लगभग बीसवीं सदी में ही हुई थी. चुकी यह रंग स्वच्छता का प्रतीक है और इसके अलावा यह रंग व्यक्ति के ईमानदारी, पवित्रता और निष्ठा का भी है. इसीलिए संसार की समस्त सभ्यताओं में सफेद रंग को श्रेष्ठ और पवित्र माना गया है. इसीलिए डॉक्टर सफ़ेद कोट पहनने के बाद ही मरीज का इलाज करता है.

Back to top button