क्या सुशांत केस से ‘साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी’ होगी कारगर

जुबिली न्यूज़ डेस्क
सीबीआई ने सुशांत मामलें की जांच तेज कर दी है। इस मामलें में सीबीआई ने सुशांत के साथ फ्लैट में रहने वाले सिद्धार्थ पिठानी , कुक नीरज सिंह और घरेलू सहायक दीपक सावंत को एक बार फिर पूछताछ के लिए बुलाया है। इसके साथ ही सीबीआई सुशांत के दिमाग की साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी’ भी करेगी।
इस टर्म के आते ही लोगों में ये इच्छा जाहिर होने लगी है कि आखिर साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी’ क्या है इसका क्या मतलब है और ये क्यों की जाती है। आइये हम बताते हैं की आखिर ये साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी’ है क्या
दरअसल साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी एक तरह का दिमाग का पोस्टमॉर्टम है। लेकिन ये तभी की जाती हैं जब आप कहीं न कहीं इसे सुसाइड के साथ जोड़कर देखते हैं। इससे पहले ये सुनंदा पुष्कर मामलें में की गयी थी। तब सीबीआई ये देखते हैं कि क्या ये सुसाइड हैं और अगर ऐसा होता है तो उस समय मानसिक हालत क्या थी।

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इसके अलावा साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी’ में इस बात को देखा जाता है कि मौत से हफ्ता दस दिन पहले तक उसके बर्ताव में क्या बदलाव आए थे। इसमें उसके बात करने से लेकर खाना खाने, ठीक से सोने की भी जानकारी पता चलती है। उसकी मौत से हफ्ता-दस दिन पहले क्या कोई बदलाव आया। ये बदलाव बहुत बड़ा असर डालते हैं। ये पता करने और समझने में कि शायद कोई वजह थी।
इसके अलावा ये भी पता लगाया जाता है कि क्या वो निजी बातें लिख रहा, दुनिया की बातें लिख रहा, धर्म की बातें लिख रहा है। तो वो चीजें जो आपने कभी नहीं कीं। वो अगर आप कह रहे हैं, लिख रहे हैं, बोल रहे हैं तो ये सारी चीजों को मिलाकर। इसके बाद तब इसकी पूरी रिपोर्ट सामने आती हैं। इस रिपोर्ट में पहले शख्स अलग था और आखिरी के दिनों में वो कैसा था ये सामने आता है।

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