कोरोना से कैसे मुकाबला कर रहा है वियतनाम

न्यूज डेस्क
दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका ने कोरोना वायरस के आगे घुटने टेक दिया है। उनके लोग मर रहे हैं लेकिन अमेरिका की सरकार कुछ नहीं कर पा रही है। ऐसा ही कुछ बड़े देश इटली, स्पेन में कोरोना ने तबाही मचा रखी है। इन देशों के पास खूब पैसा और मजबूत स्वास्थ्य सेवाएं हैं, लेकिन कोरोना को काबू करने में ये देश नाकाम साबित हो रहे हैं। वहीं चीन के पड़ोसी देश वियतनाम जिसके पास न तो पैसा है और मजबूत स्वास्थ्य सेवा, लेकिन यहां कोरोना काबू में हैं। आखिर कैसे?
चीन से दस हजार किलोमीटर दूर अमीर यूरोपीय देश कोरोना की जद हैं। इन देशों में कोरोना वायरस ने तबाही मचा रखी है और इन देशों की सरकारें तमाशबीन बनी हुई हैं। दरअसल इनका कोरोना पर कोई जोर नहीं है। वहीं चीन से महज 1100 किलोमीटर लंबी साझी सीमा वाले वियतनाम में 179 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। यहां अब तक किसी की कोरोना वायरस की वजह से मौत नहीं हुई है। बहुत सावधानी से इन नंबरों को देखने के बाद भी एक बात तो बिल्कुल साफ है कि वियतनाम कोरोना वायरस से लड़ाई में अब तक सफल रहा है।
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वियतनाम का हो ची मिन्ह शहर .
वियतनाम की सरकार ने जनवरी के आखिर में नए साल के जश्न के दौरान ही कोरोना वायरस के खिलाफ “जंग छेडऩे का एलान” कर दिया था, जबकि उस समय कोरोना का संक्रमण सिर्फ चीन में था। प्रीमियर एनगुएन शुआन फुक ने वियतनाम की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की एक बैठक के दौरान कहा कि कोरोना वायरस के देश तक पहुंचने में देर नहीं होगी। फुक ने कहा, “महामारी से जंग का मतलब है, दुश्मन से जंग।”
वियतनाम के लिए यह जंग लडऩा आसान नहीं था। यह जंग सरकारी पैसे और स्वास्थ्य सेवाओं के दम पर लड़ी जानी थी और दोनों ही चीजों में देश की हालत अच्छी नहीं थी।
दक्षिण कोरिया की तरह वितयनाम के पास बड़े पैमाने पर लोगों का परीक्षण करने की क्षमता नहीं है। देश का स्वास्थ्य तंत्र सीमित है।
हो ची मिन्ह शहर के मेयर एन्गुएन थान्ह फोंग ने बताया कि 80 लाख लोगों की आबादी वाले शहर के अस्पतालों में महज 900 इंटेंसिव केयर बेड हैं। शहर में अगर महामारी फैली तो उसे संभालना मुश्किल होगा।
दरअसल कोरोना को हराने के लिए वियतनाम में क्वारंटीन की कठोर नीति बनाई। उसने हर उस शख्स को अलग थलग करना शुरू किया जो वायरस के संपर्क में आया हो। यह उपाय तभी लागू कर दिए गए जब चीन में महामारी पूरी तरह से नहीं फैली थी।
वियतनाम ने 12 फरवरी को हनोई के पास एक पूरे टाउन को तीन हफ्ते के लिए क्वारंटीन कर दिया। इस वक्त तक पूरे देश में कोविड 19 के महज 10 मामलों की पुष्टि हुई थी। अधिकारियों ने व्यापक तौर पर बड़ी सतर्कता से ऐसे सभी लोगों की सूची बनाई जिनके वायरस के संपर्क में आने की आशंका हो।
वियतनाम ने किस तरह कोरोना से लड़ाई लड़ी इसे ऐसे समझा जा सकता है। उसने दूसरे, तीसरे, और चौथे स्तर पर भी संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों का नाम दर्ज किया। इन सारे लोगों पर अपनी गतिविधियां और संपर्क को बंद करने की पाबंदी लगाई गई। वहीं जर्मनी जैसे पश्चिमी देशों ने सिर्फ उन लोगों की सूची बनाई है जो या तो संक्रमित हैं या फिर सीधे संक्रमित लोगों के संपर्क में हैं।
इसके अलावा वियतनाम ने बहुत शुरूआत से जोखिम वाले इलाके से आने वाले लोगों को 14 दिन के क्वारंटीन में डाला। फरवरी की शुरुआत से ही सारे स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए। कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए दवाओं और तकनीक पर निर्भर करने की बजाए वियतनाम ने देश के सुदृढ़ सुरक्षा तंत्र को बड़े पैमाने पर लोगों की निगरानी में तैनात कर दिया। इसमें देश की सेना ने भी मदद की जो यहां आमतौर पर सम्मान की नजरों से देखी जाती है।
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यहां सुरक्षा अधिकारी या फिर कम्युनिस्ट पार्टी के जासूस हर गली चौराहे पर और हर गांव में मौजूद रहते हैं। इसके बाद सेना ने भी अपने जवानों और साजो सामान को कोरोना वायरस से जंग में उतार दिया। इस मजबूत निगरानी के दम पर वियतनाम ने किसी भी नागरिक को अपने तंत्र और नियमों के दायरे के बाहर जाने से रोक दिया।
बेव मीडिया डी डब्ल्यू हिंदी के अनुसार वियतनाम कोरोना से लड़ाई को एक तरह की जंग का नाम दे रहा है। प्रीमियर ने कहा, “हर कारोबार, हर नागरिक, हर घर को महामारी से लडऩे के लिए दुर्ग बनना होगा।” इस नारे ने हर नागरिक को इस लड़ाई से जोड़ दिया है और वह इसके खिलाफ एक साथ खड़े होकर कठिन दौर से लडऩे की क्षमता पर सम्मान का अनुभव कर रहे हैं। इतना ही नहीं सरकार नियंत्रित मीडिया ने भी सूचना देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। स्वास्थ्य मंत्रालय का एक प्रायोजित गीत यूट्यूब पर वायरल हो रहा है। इसमें अच्छे से हाथ धोने के बारे में बताया गया है।
डी डब्ल्यू हिंदी के मुताबिक इसे साबित करने के लिए अब तक कोई रिसर्च तो नहीं हुई है लेकिन सोशल मीडिया का मूड और वियतनामी लोगों से बात करने पर यही पता चल रहा है कि देश के ज्यादातर लोग सरकार के उपायों से सहमत हैं। उन्हें इस बात पर गर्व है कि वियतनाम इस संकट का सामना तुलनात्मक रूप से बढिय़ा तरीके से कर रहा है। देश में कोरोना वायरस की जंग के सबसे बड़े योद्धा वाइस प्रीमियर वु दुक दाम को फेसबुक पर “राष्ट्रीय  नायक” कहा जा रहा है।
अर्थव्यवस्था पर कोरोना का असर
यहां के एक तबका इस बात से चिंतित है कि इस सफलता का वियतनाम की एक पार्टी वाली कम्युनिस्ट सरकार राजनीतिक फायदा उठाएगी जिस पर नागरिक अधिकारों का उल्लंघन करने के आरोप लगते हैं। लोग मीडिया पर कठोर नियंत्रण को भी स्वीकार कर रहे हैं। यहां तक कि कम पीडि़त होने के बावजूद अर्थव्यवस्था पर इसकी वजह से जो बोझ पड़ रहा है उसे भी लोग स्वीकार कर रहे हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2020 के पहले दो महीने में 3000 कारोबार बंद हो गए। विन ग्रुप जैसे बड़े कारोबारी समूहों ने दर्जनों होटल और रिसॉर्ट बंद कर दिए हैं क्योंकि सैलानी नहीं आ रहे हैं और कर्मचारियों को वेतन देना भारी पड़ रहा है। बोझ को कम करने के लिए वियतनाम की सरकार ने 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर का फंड मुहैया कराया है ताकि अर्थव्यवस्था में धन का प्रवाह बना रहे। वहीं वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस संकट के कारण कर राजस्व बहुत ज्यादा घट जाएगा। सरकार स्वैच्छिक दान के लिए भी अपील कर रही है और लोग दे भी रहे हैं क्योंकि वे कोरोना वायरस के संकट की इस घड़ी में सरकार पर भरोसा कर रहे हैं।
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