कोरोना के कहर के बीच सामने एक और बड़ी समस्या, अगर ऐसा हुआ तो देश…

जयपुर में रिहायशी इलाकों में उतरने वाले टिड्डियों की तस्वीरों से सोशल मीडिया भरी पड़ी है। भारत में पिछले 27 साल में टिड्डियों का सबसे खतरनाक हमला इस साल हुआ है। ये बड़े झुंडों में यात्रा करते हैं और जिस खेत में खाने बैठ जाते हैं, उसे तबाह कर देते हैं। हवा के साथ उसकी दिशा में उड़ते हुए ये हवा की गति के आधार पर एक दिन में 150 किलोमीटर दूर तक जा सकते हैं। रेगिस्तानी टिड्डे का एक छोटा झुंड एक दिन में औसतन लगभग 10 हाथियों, 25 ऊंटों या 2,500 लोगों के खाने के बराबर की फसल साफ कर देता है।

टिड्डे फसलों को तबाह कर देने से कृषकों को भारी नुकसान पहुंचता है, जिससे अकाल और भुखमरी हो सकती है। टिड्डे पत्तियों, फूलों, फलों, बीजों और छाल आदि को खा जाते हैं, और वे पौधों को पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं। दरअसल, वे पौधों पर भारी संख्या में उतरते हैं और उनके भारी वजन से पौधे टूट जाते हैं। टिड्डियों का दल हमेशा छोटा नहीं होता हैं। कई बार वे इतनी विशाल संख्या में खेतों पर हमला करते हैं, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

साल 1875 में अमेरिका ने अनुमान लगाया कि टिड्डियों के झुंड का आकार 5,12,817 वर्ग किलोमीटर है। आप तुलना कर सकें, इसलिए बता देते हैं कि दिल्ली-एनसीआर केवल 1,500 वर्ग किलोमीटर का इलाका है। अगर, दिल्ली-एनसीआर के आकार का ही टिड्डी दल हमला कर दे, तो वह एक दिन में इतनी मात्रा में भोजन कर सकता है, जितना राजस्थान या मध्यप्रदेश का हर निवासी एक दिन में करता है।

हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब टिड्डियों ने खेतों पर हमला किया है, लेकिन इस बार उनका हमला 27 सालों में सबसे बड़ा है। साल 1993 के बाद से भारत में टिड्डियों के झुंडों के अधिकांश हमले राजस्थान में किए गए। मगर, इस बार अनुकूल मौसम की स्थिति की वजह से राजस्थान से गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र तक टिड्डियों की पहुंच हो गई है और खतों पर उनके हमले जारी हैं।

इन राज्यों से फसल के नुकसान की खबरें सामने आ रही हैं। किसान शोर मचाते हैं या आग जलाते हैं और केमिकल छिड़क कर टिड्डियों को भगाने की कोशिश कर रहे हैं। आर्थिक मंदी, कोरोना वायरस के संक्रमण और अब टिड्डियों के हमले की वजह से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो सकता है। इसके साथ ही फसलों की कीमत में भारी इजाफा हो सकता है।

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