कुछ देर और सोने दें बच्चों को, स्कूल जरा देर से जाएंगे

kids4-1442748014नई दिल्ली। भारतीय बच्चे सुबह स्कूल के लिए तैयार होकर निकल तो जाते हैं। पर अधिकतर बच्चे सुबह की असेंबली में या तो आधे नींद में होते हैं, या झपकियां लेते रहते हैं।

ऑक्सफार्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पॉल केली जो अमरीकी वैज्ञानिकों के साथ काम कर रहे हैं, उनका ऐसा मानना है कि बच्चे स्कूल सुबह होने के कारण भरपुर नींद नहीं ले पाते।

उनका ऐसा मानना है कि 8 से 10 वर्ष के बच्चों का स्कूल 8.30 या उसके बाद से होना चहिए, 16 वर्ष या इससे बड़े बच्चों का स्कूल सुबह 10 बजे से होना चाहिए और जो बच्चे 18 वर्ष के या इससे बड़े हैं, उनका स्कूल 11 बजे से होना चाहिए।

पिछले साल प्रकाशित एक रिपोर्ट में केली ने इस बात को सिद्ध किया कि अमरीकी बच्चे पूरे सप्ताह में 10 घंटे की नींद कम ले रहे हैं।

बच्चे मोबाइल और आईपैड के आदी होते जा रहे हैं और यह पूरी दुनियां में देखा जा सकता है। भारत भी इससे अछुता नहीं है।

केली ने यह रिपोर्ट 100 स्कूलों और उनके टाइमिंग की जांच के बाद पेश की है। भारत में बच्चे सुर्य उगने से पहले स्कूलों के लिए तैयार हो जाते हैं।

कैली की इस रिपोर्ट से कई स्कूलों के प्रिंसिपल और डॉक्टर्स सहमत हैं। पर उनके रिपोर्ट्स के अनुसार स्कूल की टाइमिंग बदलने में वक्त लग सकता है।

इस बारे में एस. एच. हीरानंदानी हॉस्पिटल के डॉक्टर रामनाथन अय्यर कहते हैं कि मैने कई साल पहले बच्चों के बिमार पड़ने की वजह ठीक से नहीं सो पाना बताया था, पर लोगों ने इसे अन्यथा में लिया।

पूअर आरईएम मूवमेंट के बारें में पुरी दुनियां में जागरुकता बढ़ती जा रही है। अगर बच्चे भरपुर नींद लेने के बाद स्कूल आएं तो वे पढ़ाई और खेल दोनों में अपना 100 प्रतिशत दे पाएंगे। 

 

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