किसान आंदोलन: किसानों ने नहीं मानी सरकार की बात

नई दिल्ली। किसानों और सरकार के बीच बातचीत असफल रही है और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने सरकार के आश्वासन को मानने से इंकार कर दिया है। साथ ही उन्होंने कहा है कि उनकी सारी मांगें जब तक नहीं मान ली जाती हैं, ये आंदोलन जारी रहेगा। हरिद्वार से दिल्ली की सीमा तक पहुंच चुके किसानों पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे थे। पुलिस की इस कार्रवाई को लेकर कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने मोदी सरकार को घेरा तो मामला बढ़ता देख सरकार बातचीत को तैयार हुई और बाद 7 मुद्दों पर सहमति बनने की खबरें थी।सूत्रों के अनुसार सरकार ने कहा था कि वित्तीय मामलों का समाधान जल्द से जल्द निकालने की कोशिश की जाएगी। सरकार लोन माफी और स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के अलावा बाकी सारी मांगों पर सहमत है। लेकिन सरकार के आश्वासन को मानने से नरेश टिकैत ने इंकार कर दिया है।  किसानों की मांग है कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू की जाए। स्वामीनाथन कमेटी के फॉर्मूले के आधार पर किसानों की आय की लागत में कम से कम 50 प्रतिशत जोड़ कर मिले। बाजार भाव के मूल्य के अनुपात में उनके फसलों की खरीद की गारंटी दी जाए। पिछले साल के गन्ना फसल के बकाए भुगतान की मांग किसानों ने की है, अगर 14 दिन तक भुगतान न हो तो इसपर ब्याज मिले। ऐसा न करने वाले चीनी मिलों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग भी उन्होंने की है।
राज्य सरकार की तर्ज पर केंद्र भी किसानों के कर्ज को माफ करे।  बिजली के दामों में कमी की मांग किसानों ने की है।  किसानों के लिए पेंशन की मांग भी इसमें की गई है जबकि सरकारी नौकरियों की तरह 60 साल के बाद किसानों को पेंशन देने की व्यवस्था हो।  पिछले 10 साल में आत्महत्या करने वाले लगभग 3 लाख किसानों के परिवार को मुआवजा और उनके परिवार के किसी सदस्य को नौकरी देने की मांग।प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बदलाव किया जाए और भुगतान को डिजिटल पेमेंट से जोड़ा जाए, किसान क्रेडिट कार्ड योजना में बिना ब्याज लोन देने की सुविधा हो।  किसानों ने डीजल के दामों में कमी की मांग की है। दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने ट्रैक्टरों के उपयोग पर लगी रोक हटाने की मांग।  आवारा पशुओं से खेत में खड़ी फसलों के बचाव के लिए उपाय किए जाएं।

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