सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु को मिलने वाले पानी में की कटौती, कर्नाटक को मिली राहत
120 साल पुराने कावेरी जल विवाद पर बड़ा फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु को दिए जाने वाले पानी की मात्रा घटा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे घटाकर 177.27 क्यूसेक कर दिया है। इस फैसले के बाद अब कर्नाटक को मिलने वाली पानी की मात्रा बढ़ जाएगी और उसे अतिरिक्त 14 क्यूसेक पानी मिलेगा। इसके अलावा केरल और पुडुचेरी को मिलने वाले पानी की मात्रा तथावत रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पानी का यह बंटवारा कर्नाटक अपने बिलिगुंडलु डैम से तमिलनाडु के लिए 177.25 क्यूसेक पानी छोड़ेगा। कर्नाटक को अतिरिक्त 14.75 क्यूसेक पानी मिलेगा। कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक को अतिरिक्त पानी देने का फैसला बेंगलुरु में रहने वाले लोगों की जरूरतों को देखते हुए लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के चलते राज्यों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बेंगलुरु में सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता कर दी गई है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। कावेरी विवाद पर यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुछ ही महीनों में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ ने पिछले साल 20 सितंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह विवाद करीब 120 साल पुराना है।
कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) के 2007 में दिए गए आदेश को कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सीडब्ल्यूडीटी ने 2007 में इस विवाद पर सर्वसम्मति से फैसला दिया था। उसने तमिलनाडु में 192 टीएमसी (1000 मिलियन क्यूबिक) फीट पानी को कर्नाटक द्वारा मेटटूर बांध में छोड़ने के आदेश दिए थे, जबकि कर्नाटक को 270, केरल को 30 और केरल को सात टीएमसी फीट जल आवंटित किया था।
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विवाद की शुरुआत
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कावेरी जल विवाद ट्राइब्यूनल (CWDT) बनाने का आदेश दिया। तमिलनाडु 1970 से इसकी मांग कर रहा था। 2 जून को केंद्र सरकार ने CWDT को नोटिफाई किया।
1990-05-01
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तमिलनाडु सख्त
CWDT ने तमिलनाडु को अंतरिम राहत देने की अपील खारिज कर दी। तमिलनाडु ने इसके खिलाफ कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 1991 में CWDT को निर्देश दिया कि वह तमिलनाडु की अंतरिम राहत की अपील पर ध्यान दे।
1991-01-01
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कर्नाटक सुलह को तैयार नहीं
CWDT ने अंतरिम फैसले की घोषणा की। कर्नाटक ने अंतरिम फैसले को खत्म करने के लिए एक अध्यादेश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप कर कर्नाटक के आध्यादेश को रद्द कर CWDT के अंतरिम पुरस्कार को कायम रखा। कर्नाटक ने इसे मानने से इंकार कर दिया।
1991-06-01
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जयललिता की भूख हड़ताल
अंतरिम पुरस्कार को भारत सरकार के गैजेट में प्रकाशित किया गया। इस बीच जुलाई 1993 में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता चेन्नई में एमजीआर स्मारक पर अचानक भूख हड़ताल पर चली गईं, ताकि अंतरिम आदेश के अनुसार तमिलनाडु के हिस्से के पानी की मांग की जा सके।
1991-12-11
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अटल बिहारी वाजपेयी ने की ऐसी कोशिश
CWDT के अंतरिम फैसले के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र कावेरी नदी प्राधिकरण का गठन किया। उधर, 8 सितंबर 2002 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में कावेरी नदी प्राधिकरण वाजपेयी ने कर्नाटक को कावेरी जल का 9,000 क्यूसेक तमिलनाडु को जारी करने का निर्देश दिया। तमिलनाडु इस आदेश से नाखुश था और उसने कहा कि वह सर्वोच्च न्यायालय में जाएगा।
1998-08-01
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केंद्र सक्रिय नहीं
केंद्र के जल विशेषज्ञों ने तमिलनाडु के अंतरराज्यीय विवादों के बचाव में आने में अपनी असहाय स्थिति जाहिर करते हुए कहा उनके हाथ बंधे हैं। उनका मत था कि कावेरी नदी प्राधिकरण का प्रभावी कार्य सुनिश्चित करने में केंद्र सक्रिय नहीं है।
2003-10-12
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ट्रिब्यूनल का अंतिम फैसला
कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल ने 16 साल बाद अंतिम फैसला दिया। ट्रिब्यूनल ने कहा कि तमिलनाडु को पानी के बंटवारे पर मद्रास और मैसूर की सरकारों के बीच 1892 और 1924 के दो समझौतों मान्य हैं।
2007-02-05
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कर्नाटक में विरोध
कर्नाटक ने अंतिम फैसले का विरोध किया। इस मामले में पूरे राज्य में बंद रखा गया। 18 फरवरी को बेंगलुरू के आईटी प्रोफेश्नल्स ने CWDT के पक्षपाती फैसले का विरोध किया।
2007-02-12
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मनमोहन सिंह ने दिया ऐसा निर्देश
नौ साल बाद, सातवीं सीआरए में मनमोहन सिंह ने कर्नाटक को 9,000 क्यूसेक कावेरी पानी को तमिलनाडु को छोड़ने का निर्देश दिया। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों- जयललिता और जगदीश शेट्टार ने इसे “अस्वीकार्य” कहा। केंद्र में साल 2004 में यूपीए की सरकार बनने के बाद यह पहली सीआरए बैठक थी।
2012-09-19
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कर्नाटक सरकार को फटकार
सर्वोच्च न्यायालय ने सीआरए में पीएम के निर्देशों का पालन न करने के लिए कर्नाटक सरकार को फटकार लगाई। 29 फरवरी 2013 को केंद्र सरकार ने CWDT की अंतिम फैसले को राजपत्र में नोटिफाई किया।
2012-09-28
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लड़ाई फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची
तमिलनाडु ने कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड का गठन करने का निर्देश जल मंत्रालय को देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। 10 मई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह कावेरी के जल को रिलीज करने की देखरेख के लिए एक पैनल गठित करे।
2013-03-19
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कर्नाटक के मुख्यमंत्री का ऐसा बयान
CWDT के आदेशों का पालन न करने के लिए कर्नाटक से 2,480 करोड़ रुपए का मुआवजा हासिल करने के लिए तमिलनाडु ने सर्वोच्च न्यायालय में रुख किया। इस मामले में 2 जून 2013 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि जब तमिलनाडु चाहे, तब पानी रिलीज नहीं किया जा सकता।
2013-05-28
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लोकसभा में तीखी बहस
तमिलनाडु और कर्नाटक के लोक सभा सांसदों के बीच कावेरी जल विवाद को लेकर तीखी बहस हुई। 6 सितंबर को जयललिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कावेरी मुद्दे पर हस्तक्षेप करने को कहा। इसके साथ ही तमिलनाडु को जारी किए जाने वाले बकाया पानी को रिलीज कराने का आग्रह किया।
2015-05-23
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तमिलनाडु को SC का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को किसानों की दुर्दशा में सुधार के लिए अगले 10 दिनों के लिए तमिलनाडु को कावेरी से 15,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया। जस्टिस दीपक मिश्रा और यूयू ललित की खंडपीठ ने तमिलनाडु को पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कर्नाटक को निर्देशित किया।
2015-09-05
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सुप्रीम कोर्ट की नई टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह दोनों राज्यों के लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए संतुलित दृष्टिकोण अपनाएगा। कर्नाटक ने छोड़े जाने वाले कावेरी पानी की मात्रा में कमी करने की मांग की थी। वह तमिलनाडु को मौजूदा 192 टीएमसीएफटी से घटाकर 132 टीएमसीएफटी तक पानी जारी करना चाहता है।
2017-07-14
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राज्य फिर भी राजी नहीं
साल 2007 में कावेरी ट्रिब्यूनल ने अंतिम फैसले के तहत तीनों राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल को जारी किए जाने वाले पानी की मात्रा तय कर दी थी। इसके खिलाफ तीनों राज्यों ने आपत्ति ली थी, जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमितावा रॉय और एएम खानविलकर की विशेष पीठ के समक्ष सुनवाई अंतिम चरण में है। तमिलनाडु ने अपनी मांग को दोहराया कि सर्वोच्च न्यायालय को अपनी अथॉरिटी को नियुक्ति करनी चाहिए और तीन राज्यों के बीच जल के साझाकरण और प्रबंधन के लिए योजना को तैयार करना चाहिए।
2017-09-20
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सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को राहत देते हुए तमिलनाडु के पानी में कटौती की।
2017-02-16
बेंगलुरु में सुरक्षा कड़ी की गई
सुप्रीम कोर्ट के शुक्रवार को आने वाले फैसले को लेकर बेंगलुरु में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। पत्रकार वार्ता में बेंगलुरु पुलिस आयुक्त टी सुनील कुमार ने बताया कि 15,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाएगा। इसके अलावा कर्नाटक स्टेट रिजर्व पुलिस और अन्य बलों को भी तैनात किया जाएगा। आयुक्त ने कहा, “संवेदनशील इलाकों पर विशेष नजर रखी जाएगी, जहां इसे लेकर पहले दंगे हो चुके हैं।”