कारोबार बदहाल तो सरकार से लगायी गुहार

न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। लॉकडाउन के चलते देश में सभी कारोबार बदहाल हो चुके है, लेकिन उम्मीद की रौशनी अब नजर आने लगी है। सरकार धीरे- धीरे कारोबार में छूट दे रही है। आज बात करते है पेंट उद्योग की।
इस सेक्टर से जुड़े उद्यमी, होलसेल, डिस्ट्रीब्यूटर, डीलर, रिटेलर, ऑर्किटेक्ट, इंटीरियर डिजाइनर, कांट्रेक्टर, ठेकेदार, पेंटर व हेल्पर समेत अन्य कर्मचारियों की हालत बेहाल है।
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दो महीने से पेंट कारोबार बंद होने से करीब 500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। अब उद्योग को संजीवनी देने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जरूरी सहूलियतों के लिए गुहार लगाई गई है।

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उत्तर प्रदेश पेंट्स व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष राजीव गुप्ता के अनुसार पेंट, व्हाइट सीमेंट, सैनिटाइजर, वाटर प्रूफिंग, डेकोरेटिव व प्रोडक्टिव कोटिंग के उत्पाद तैयार करता है। इस उद्योग में लाखों ऐसे कारीगर हैं, जो रोज कमाते-खाते हैं।
लॉकडाउन के चलते कारीगर व पेंटर घरों को पलायन कर गए हैं, कमाई का कोई साधन न होने से वे परेशान हैं और आना चाहते हैं। पेंट व इससे जुड़े प्रोडक्ट का करीब 7500 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार है। लॉकडाउन में 500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। दो लाख लोगों की मुश्किलें बढ़ी हैं।
ठेकेदार तपेश्वर शाह बताते हैं कि पेंटिंग के काम में सामान्य दिनों में 4000-5000 रुपये तक कमाई हो पाती है। इसमें दुकान किराया, बिजली बिल, साथ में काम करने वाले स्टाफ का वेतन व जीएसटी अदा करना होता है। एक-एक पेंटर से करीब आधा दर्जन से एक दर्जन लोगों का परिवार पलता है।
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ऐसे में सबसे ज्यादा मुश्किल में पेंटर हैं। सरकार को इनकी मदद के लिए कदम उठाने चाहिए। कम से कम छह महीने के लिए बिजली बिल व जीएसटी की अदायगी से राहत तथा दुकान किराया व स्टाफ वेतन के भुगतान में मदद करनी चाहिए।
कारोबारियों की ये मांगें
केंद्र व प्रदेश सरकार को की जाने वाली आपूर्ति से जुड़ा भुगतान इन्वाइस प्राप्त होने के 30 दिन के अंदर हो।
ऑड व इवेन या दिन के कुछ घंटों के आधार पर काम की अनुमति दी जानी चाहिए।
जिस अवधि में काम नहीं हो रहा है, उस अवधि में कर्मचारियों को 50 प्रतिशत वेतन देने की छूट।
कर्ज पर ब्याज 90 दिन का बढ़ाने की जगह इस अवधि का ब्याज पूरी तरह माफ किया जाए।
कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाए और बिजली बिल वास्तविक खर्च पर लिया जाए।
जीएसटी व रिटर्न जमा करने की तिथि लॉकडाउन खत्म होने के बाद 90 दिन की जाए।
वाणिज्यिक भवनों, दुकानों व गोदाम के हाउस टैक्स में 50 प्रतिशत छूट दी जाए।
प्राइवेट कंपनियों की तरह पार्टनरशिप फर्मों को भी 22% आयकर भुगतान के दायरे में लाया जाए।
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