कहीं झूठ बोलने की वजह से तो आप बार-बार बीमार नहीं पड़ रहे?

घर, ऑफिस या दोस्तों के बीच हम बात-बात पर झूठ बोलने से परहेज नहीं करते। झूठ बोलने की यह आदत धीरे-धीरे बढ़ जाती है और हम इसके आदि हो जाते हैं। झूठ बोलना धार्मिक दृष्टि से तो गलत है ही, आपकी सेहत के लिए भी नुकसानदेह भी है। एक शोध के मुताबिक, झूठ बोलने वाले लोग, सच बोलने वाले व्यक्ति के मुकाबले ज्यादा बीमार होता है।कहीं झूठ बोलने की वजह से तो आप बार-बार बीमार नहीं पड़ रहे?

क्या कहता है शोध
यूएसए की यूनिवर्सिटी ऑफ नोट्रेडेम के एक शोध के मुताबिक, जो लोग अधिकतर समय झूठ बोलते हैं, उनमें तनाव, चिड़चिड़ापन, गला खराब होना, थकान, सिरदर्द जैसी समस्या बनी रहती हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि सच बोलने वाले लोग बीमार नहीं होते। सच बोलने में वह बेहतर महसूस करते हैं। शोध में 3000 लोगों को शामिल किया गया, शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग झूठ बोल रहे हैं, उनमें घबराहट, तनाव व चिड़चिड़ेपन की समस्या, सच वाले लोगों के मुकाबले कहीं ज्यादा थी। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया का शोध कहता है कि झूठ बोलने वाले लोग तनावग्रस्त रहते हैं। उनमें बीपी, शुगर जैसी समस्या भी ज्यादा होती हैं।

सच बोलना है लाभकारी
हिंदुस्तान में प्रचलित सभी धर्मों में झूठ बोलने को पाप माना गया है। ऋग्वेद में कहा गया है कि ‘सत्कर्मशील व्यक्ति को सत्य की नौका पार लगाती है। दुष्कर्मी, संयमहीन व छल-कपट करने वाले व्यक्ति की नौका मझधार में डूबकर उसके जीवन को निरर्थक कर देती है।’ महर्षि चरक ने आचार रसायन में कहा है, ‘सत्यवादी, क्रोध रहित, मन, कर्म व वचन से अहिंसक तथा विनय के पालन से मानव शारीरिक, मानसिक व आत्मिक रोगों से मुक्त रहता है। उन्होंने इसे सदाचार रसायन कहा है। सत्य-सदाचार जैसे तत्वों को त्यागने के कारण ही मानव अनेक रोगों का शिकार बनता है।’

झूठ बोलना एक ऐसा गुण है, जिसके लिए हमें बहुत कुछ प्रयास करने होते हैं, जबकि सत्य बोलने के लिए हमें कुछ भी करने कीजरूरत नहीं होती। सच बोलेंगे, तो उसे बनाए रखने के लिए मेहनत नहीं करनी होगी। झूठ बोलेंगे, तो उसकी देखभाल करने में समय और दिमाग दोनों खर्च होंगे। झूठ बोलना शुरुआत में तो, सुख प्रदान करता है, लेकिन भविष्य में इसे छिपाने के लिए बार-बार और झूठ का सहारा लेना पड़ता है, जिससे नई-नई परेशानियां सामने आती हैं।

झूठ के सहारे न दुनिया चलती है और न बसती है। इससे आपको भले ही शुरुआती कामयाबी मिल जाए, लेकिन अंत हमेशा बुरा ही होता है। इसलिए सच के साथ आगे बढ़ने की सोचें, बढ़ें, क्योंकि यही स्थायी सफलता दिलाता है। लोग झूठ-फरेब को सफलता का शॉर्टकट मानकर इनके सहारे अपनी दुनिया बसाना चाहते हैं। सच के पास ऐसी जादुई शक्तियां होती हैं कि वे अपने प्रिय को कठिन से कठिन परिस्थितियों से भी बाहर निकाल लाती हैं, इसलिए हमेशा सच बोलें।

लगातार झूठ बोलने से घर की सुख-शांति तो भंग होती ही है, हमारे व्यक्तित्व को भी नुकसान होता है। सच बोलेंगे, तो सफल होंगे, झूठ बोलेंगे, तो पीछे रह जाएंगे।

Back to top button