कर दरें घटने से करदाताओं की संख्या हुई दोगुनी

जुबिली न्यूज़ डेस्क
नयी दिल्ली। देश में कर सुधार के क्षेत्र में सबसे बड़े बदलाव वस्तु एवं सेवा कर के क्रियान्वयन के बाद पिछले चार वर्षों के दौरान करदाता आधार लगभग दोगुना होने के साथ ही विभिन्न वस्तुओं की कर दरों में बड़ी कमी की गई।
पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली की पहली पुण्य तिथि पर मंत्रालय ने कई ट्वीट किये। नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान 30 जून और एक जुलाई 2016 को लागू जीएसटी में स्व. जेटली की अहम भूमिका रही थी।
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मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी से पहले मूल्यवर्धित कर (वैट), उत्पाद शुल्क और बिक्रीकर देना पड़ता था। सामूहिक रूप से इनकी वजह से कर की मानक दर 31 प्रतिशत तक पहुंच जाती थी।
मंत्रालय ने कहा की अब व्यापक रूप से सब मानने लगे हैं कि जीएसटी उपभोक्ताओं और करदाताओं दोनों के अनुकूल है। जीएसटी से पहले कर की ऊंची दर की वजह से लोग करों का भुगतान करने में हतोत्साहित होते थे लेकिन जीएसटी के तहत निचली दरों से कर अनुपालन बढ़ा है।
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मंत्रालय ने कहा कि जिस समय जीएसटी लागू किया गया था, उस समय इसके तहत आने वाले करदाताओं की संख्या 65 लाख थी। आज यह आंकड़ा बढ़कर 1.24 करोड़ पर पहुंच गया है। जीएसटी में 17 स्थानीय शुल्क समाहित हुए हैं।
नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अरुण जेटली वित्त मंत्री थे। मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘आज हम अरुण जेटली को याद कर रहे हैं। जीएसटी के क्रियान्वयन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इतिहास में इसे भारतीय कराधान का सबसे बुनियादी ऐतिहासिक सुधार गिना जाएगा।’
मंत्रालय ने कहा कि लोग जिस दर पर कर चुकाते थे, जीएसटी व्यवस्था में उसमें कमी आई है। राजस्व तटस्थ दर (आरएनआर) समिति के अनुसार राजस्व तटस्थ दर 15.3 प्रतिशत है। वहीं रिजर्व बैंक के अनुसार अभी जीएसटी की भारित दर सिर्फ 11.6 प्रतिशत है।
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ट्वीट में कहा गया है कि 40 लाख रुपए तक के कारोबार वाली कंपनियों को जीएसटी की छूट मिलती है। शुरुआत में यह सीमा 20 लाख थी। इसके अलावा डेढ़ करोड़ तक के कारोबार वाली कंपनियां कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुन सकती हैं। उन्हें सिर्फ एक प्रतिशत कर देना होता है।
मंत्रालय ने कहा कि पहले 230 उत्पाद सबसे ऊंचे 28 प्रतिशत के कर स्लैब में आते थे। आज 28 प्रतिशत का स्लैब सिर्फ अहितकर और विलासिता की वस्तुओं पर लगता है। इनमें से 200 उत्पादों को निचले कर स्लैब में स्थानांतरित किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि आवास क्षेत्र पांच प्रतिशत के कर स्लैब के तहत आता है। वहीं सस्ते मकानों पर जीएसटी की दर को घटाकर एक प्रतिशत कर दिया गया है।
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