कर्नाटक चुनाव के परिणाम पर ही तय होगा बसपा-सपा का गठबंधन

12 मई को हुए कर्नाटक चुनाव समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के भविष्य के लिए एक परीक्षा की तरह है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टी के गठबंधन का भविष्य तय करने में दक्षिण के इस राज्य के नतीजों का बहुत बड़ा हाथ होगा। सभी एग्जिट पोल में बताया जा रहा है कि जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) प्रमुख एचडी देवगौड़ा किंगमेकर साबित हो सकते हैं और उनके बिना राज्य में कोई सरकार नहीं बना पाएगा।कर्नाटक चुनाव के परिणाम पर ही तय होगा बसपा-सपा का गठबंधन

कर्नाटक में जेडीएस ने बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा है। इसी वजह से सपा सभी तरह की गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए हुए है। अगर जेडीएस और बसपा का गठबंधन सरकार बनाने में भाजपा की मदद करता है तो इसका बुरा असर उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठबंधन पर पड़ सकता है। सपा और बसपा दोनों ही भाजपा को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी मानते हैं। वरिष्ठ सपा नेता का मानना है कि मायावती भाजपा-जेडीएस के गठबंधन का समर्थन यूपी में पार्टी को अस्थिर करने की कीमत पर नहीं करेंगी। यूपी बसपा का घरेलू मैदान है। 

जेडीएस अभी तक कह रही है कि वह दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों भाजपा और कांग्रेस को कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए समर्थन नहीं देगी। वहीं रिपोर्ट्स का कहना है कि कांग्रेस जेडीएस का समर्थन ले सकती है। जेडीएस और कांग्रेस के साथ आने की परिस्थिति में वह एक दलित को मुख्यमंत्री बनाना चाहती है। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि मायावती एक बार भाजपा के समर्थन से यूपी में मुख्यमंत्री बन चुकी हैं और तभी से दोनों पार्टियों के संबंध खराब हो गए हैं। उस दौरान चीनी मिल को बेचने में हुई कथित अनियमितताओं की वजह से वह सीबीआई जांच के दायरे में हैं। ऐसे में लगता नहीं है कि वह भाजपा-जेडीएस गठबंधन को स्वीकृति देंगी।

सपा एमएलसी उदयवीर सिंह का कहना है कि बसपा को कर्नाटक में कोई ना कोई कदम उठाना पड़ेगा। वर्तमान में सपा-बसपा के गठबंधन का 2019 लोकसभा चुनाव तक जारी ना रहने का कोई कारण नहीं हैं। सिंह वही शख्स हैं जिन्होंने फूलपुर और गोरखपुर उप-चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन करवाने में अहम भूमिका निभाई थी।

 
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