कभी निजी जीवन में यह काम करते थे गहलोत, अब हैं राजस्थान में कांग्रेस के बाजीगर

पांच में से तीन राज्‍यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की है। इसमें राजस्‍‍‍‍‍थान की यदि बात की जाए तो वहां पर राज्‍य के पूर्व सीएम अशोक गहलोत का नाम एक बार फिर से सीएम प्रत्‍याशी के तौर पर सबसे पहले लिया जा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह है कि उन्‍हें लंबा प्रशासनिक अनुभव है और उन्‍हें ऐसे नेताओं को काबू करने की कला बखूबी आती है जो बिदक सकते हैं। इन सभी के बीच उनसे जुड़ी कुछ और भी बातें हैं जो बहुत से लोग नहीं जानते हैं। बेहद कम लोगों को इस बात का पता है कि वह असल जिंदगी में जादूगर रहे हैं। उनके पिता भी देश के जाने-माने जादूगर थे। आज हम आपको उनसे जुड़ी कुछ ऐसी ही खास बातें बताएंगे। 

राजस्‍थान में कांग्रेसी नेता अशोक गहलोत बड़े कद के नेता हैं। राज्‍य में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में वह काफी समय से लगे थे। अपने राजनीतिक जीवन में वह कमाल के जादूगर हैं। निजी जीवन की बात करें तो उनके पिता बाबू लक्ष्मण सिंह गहलोत देश के जाने-माने जादूगर थे। अशोक गहलोत ने अपने पिता से उन्‍होंने यह फन सीखा। अपने स्‍कूली दिनों में उन्‍होंने इसका प्रदर्शन भी किया। इन दिनों में जेब में फूल डालकर रुमाल निकालने और कबूतर उड़ाने की कला में वह माहिर थे। 

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अशोक गहलोत ने सरदारपुरा सीट से जीत दर्ज की है, यहीं पर उनका पुश्‍तैनी घर भी है। यह विधानसभा क्षेत्र जोधपुर में आता है। यहीं के पुश्‍तैनी घर में वर्ष 1951 में उनका जन्म भी हुआ। इस घर के एक कमरे को वो अपने लिए बेहद लकी मानते हैं। इसकी खास बात ये कि वे जब भी मतदान के लिए जाते हैं तो यहीं से जाते हैं। यहीं के जैन वर्धमान स्कूल में उन्‍होंने पांचवीं तक पढ़ाई की थी। 1962 में उन्‍होंने छठी में सुमेर स्कूल में दाखिला लिया।   

पढ़ाई के दौरान वह स्काउट और एनसीसी के जरिए होने वाली समाज सेवा में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते थे। इसके अलावा वाद-विवाद करने में भी वह माहिर हैं। उनके सियासी सफर की बात करें तो छात्र जीवन उनका रुझान कहीं न राजनीति की तरफ हो चुका था। वह कॉलेज के छात्रसंघ में उपमंत्री भी रहे। राजनीति में एंट्री से पहले वह डॉक्‍टर बनना चाहते थे। इसी हसरत से उन्‍होंने जोधपुर विश्वविद्यालय में दाखिला भी लिया था, लेकिन उन्‍हें कामयाबी नहीं मिली। लिहाजा उन्‍हें बीएससी की डिग्री से संतोष करना पड़ा। इसके बाद जब उनके मन में पोस्ट ग्रेजुएशन करने का ख्‍याल आया तो उन्‍होंने इसके लिए अर्थशास्‍त्र को चुना। इसके बाद उन्‍होंने छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ा। बहरहाल, कॉलेज की पढ़ाई के साथ उन्‍होंने राजनीति का ककहरा भी अब तक सीख लिया था। 

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