कोरोना पीड़ित कनिका और पीजीआई प्रशासन में विवाद

एटा में शिकायत करना मरीज़ को भारी पड़ा

राम दत्त त्रिपाठी, लखनऊ. कोविड 19 बीमारी से पीड़ित मशहूर गायिका कनिका कपूर को लेकर एक नया विवाद पैदा हो गया है। कणिका ने संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिचयूट अस्पताल में साफ़ सफ़ाई और भोजन को लेकर असंतोष प्रकट किया है। दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि उन्हें बेहतर सुविधाएँ दी गयी हैं और वह एक मरीज़ की तरह व्यवहार नहीं कर रही हैं।

कनिका कपूर वसुंधरा राजे सिंधिया
कनिका कपूर वसुंधरा राजे सिंधिया के साथ एक पार्टी में

एक समाचार वेबसाइट से वार्ता में कनिका ने कहा कि वह पीजीआई में “जेल जैसा महसूस कर रही हैं। कमरे में मच्छर हैं और धूल भरी हुई है।”उनका आरोप है कि जब डॉक्टर से उसे साफ करवाने को कहा जाता है कि तो वह कहते हैं कि यह फाइव स्टार होटल नहीं है।

दूसरी ओर पीजीआई के निदेशक प्रो. आरके धीमान ने कहा कि कनिका कपूर एक पेशंट की तरह व्यवहार ही नहीं कर रही है।

पीजीआइ की एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि “ कनिका कपूर को सर्वश्रेष्ठ प्रदान किया गया है जो एक अस्पताल में संभव है। उसे एक मरीज के रूप में काम करना चाहिए और किसी स्टार के नखरे नहीं फेंकने चाहिए। अस्पताल की रसोई से उसे ग्लूटेन फ्री डाइट दी जा रही है। उसे खुद की मदद करने के लिए हमारे साथ सहयोग करना होगा। उसे प्रदान की जाने वाली सुविधा शौचालय, रोगी-बिस्तर और टेलीविजन के साथ एक अलग कमरा है।

पी जी आई निदेशक प्रफ़ेसर आर के धीमान

उसके कमरे का वेंटिलेशन COVID 19 यूनिट के लिए एक अलग एयर हैंडलिंग यूनिट (AHU) के साथ वातानुकूलित है।अत्यंत सावधानी बरती जा रही है, लेकिन उसे पहले एक मरीज के रूप में व्यवहार करना शुरू करना चाहिए न कि एक स्टार के रूप में।”

कनिका पहले किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी अस्पताल में भर्ती थीं, जहाँ सरकार ने कोरों पीड़ित मरीज़ों के लिए अलग वार्ड बनाया है। लेकिन समझा जाता है की उनकी वीआईपी पहुँच के कारण बाद में पीजीआइ भेज दिया गया।

उनको वहाँ भेजना अपने आप में विवादास्पद है। अब पीजीआई में कोरोना मरीज़ होने से अस्पताल का सामान्य कामकाज प्रभावित हो रहा है।

याद दिला दें कि कविता हाल ही में लंदन से लखनऊ आयीं . वह यहॉं कई दावतों में शामिल हुईं . दावत में कई शहरों से लोग आये . ताज होटल में ठहरीं . बाद में जॉंच में उन्हें कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई .

इसके बाद प्रशासन ने उन पर जानबूझकर लोगों के स्वास्थ्य को ख़तरे में डालने का मुक़दमा क़ायम करा दिया है .

क़ायदे से कनिका को लंदन से लौटकर दो हफ़्ते एकांतवास में रहना चाहिए था .

पीजीआई प्रशासन की नाराज़गी अपनी जगह है, पर वास्तव में हमारे अस्पतालों और कोरों कैम्पों में गंदगी तथा अव्यवस्था की शिकायतें अन्य स्थानों से भी आ रही हैं। इसी कारण वहाँ रहने भेजे गए लोग परेशान हैं। हाल ही में चीन के वुहान शहर से लौटकर आए आशीष यादव इन दिनों अपने परिवार के साथ जलेसर एटा में रह रहे हैं। वह पहले चौदह दिन कैम्प में रह चुके हैं और जाँच रिपोर्ट में निगेटिव थी।

दो तीन दिन बाद उनकी पत्नी को जुकाम बुख़ार होने पर वह एटा ज़िला अस्पताल गए। वहाँ उनकी पत्नी को अलग रहने को कहा गया। लेकिन अस्पताल में गंदगी और अव्यवस्था से परेशान हो गए। जब उन्होंने अधिकारियों से शिकायत की तो उन्हें मुक़दमा क़ायम कर जेल भेजने की धमकी दी गयी।

आशीष वहाँ की एक यूनिवार्सिटी में असिसटेंट प्रोफ़ेसर हैं । उनकी जान पहचान ऊपर तक है। आशीष ने दिल्ली किसी बड़े अफ़सर को फ़ोन कर मदद माँगी, तब अफ़सरों ने मुकदमा लिखाने का इरादा त्याग दिया।आशीष यादव और उनका परिवार अधिकारियों के इस व्यवहार से मानसिक रूप से आहत है।

सोचने की बात है जब आशीष के साथ अधिकारी ऐसे पेश आए तो साधारण मरीज़ तो शिकायत करने पर सचमुच जेल चला जाता।अगर किसी कारण व्यवस्था नहीं भी ठीक हो सकती, तो कम से कम बात तो शालीनता से की जा सकती है।

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