कंस्‍ट्रक्‍शन इंडस्‍ट्री में हैं करियर के ढेरों विकल्‍प

कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के विस्तार और बड़ी कंपनियों के इस क्षेत्र में उतरने से इसमें टेक्नोक्रेट्स की मांग लगातार बढ़ रही है। आधुनिकीकरण के चलते आज इस क्षेत्र में करियर की नई-नई संभावनाएं भी सामने आ रही हैं। तमाम स्पेशलाइज्ड कार्यों के लिए कंस्ट्रक्शन मैनेजरों की जबरदस्त मांग है। आप भी इस क्षेत्र से जुड़कर करियर निर्माण कर सकते हैं।

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बीपीओ इंडस्ट्री के बाद इस क्षेत्र में ही बीते पांच वर्षों में सर्वाधिक प्रगति हुई है। यह क्षेत्र 30 से 40 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से वृद्धि कर रहा है। एक अनुमान के अनुसार यदि यही विकास दर कायम रही, तो वर्ष 2018 तक भारत एशिया के सबसे बड़े रियल एस्टेट मार्केट का रूप ले लेगा।

कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के अंतर्गत आर्किटेक्चर, बिल्डिंग इंजीनियरिंग और प्लानिंग जैसे कई कार्य आते हैं। इस इंडस्ट्री के विस्तार और बड़ी कंपनियों के इस क्षेत्र में उतरने से इसमें टेक्नोक्रेट्स की मांग लगातार बढ़ रही है। पूंजी निवेश के लिहाज से वर्तमान ही नहीं, सदियों पहले से जमीन-जायदाद को सबसे उम्दा विकल्प के तौर पर देखा जाता रहा है, लेकिन आधुनिक युग में इस क्षेत्र में भी व्यापक बदलाव आया है। आज परंपरागत मिस्त्री की जगह आर्किटेक्ट ने ले ली है। मिस्त्री का काम केवल उसके बनाए नक्शे पर बिल्डिंग तैयार करना रह गया है।

आधुनिकीकरण के चलते आज इस क्षेत्र में करियर की नई-नई संभावनाएं भी सामने आ रही हैं। तमाम स्पेशलाइज्ड कामों के लिए इस फील्ड में कंस्ट्रक्शन मैनेजरों की जबरदस्त मांग है। स्थिति यह है कि अब शिक्षण संस्थानों ने इस क्षेत्र के अनुकूल प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी चलाना शुरू कर दिया है।

जरूरी हैं ये स्किल्स

कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में करियर बनाने के लिए सेल्स स्किल्स, कम्युनिकेशन स्किल्स, व्यवहारिक व कार्य के प्रति जिम्मेदार होना जैसे गुण होना जरूरी हैं। इन खूबियों के बलबूते आप कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के क्षेत्र में उम्दा भविष्य

बनाने का सपना साकार कर सकते हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां उत्पाद की क्वॉलिटी पर विशेष जोर दिया जाता है। अगर निर्माण ही कमजोर होगा, तो उसे खरीदेगा कौन? यही कारण है कि आज ग्राहक निवेश करने से पहले

यह जान लेना चाहता है कि आखिर उसके द्वारा खरीदी जाने वाली संपत्ति को बनाने में किस हद तक विश्वसनीयता को तरजीह दी गई है।

इसी आवश्यकता के चलते अब प्रोफेशनल्स की मांग बढ़ रही है। ये लोग न केवल परंपरागत प्रणाली के जानकार होते हैं बल्कि इस क्षेत्र के मॉडर्न रूप से भी परिचित होते हैं। इस तरह इन विशेषज्ञों का अनुभव साफ तौर पर निर्माण कार्य पर नजर आता है।

अनेक विकल्प

इस क्षेत्र में करियर विकल्पों की बात करें, तो यह जॉब के अनेक विकल्प प्रदान करने वाला क्षेत्र है। भवन निर्माण प्रक्रिया के कई चरण होते हैं। आर्किटेक्ट प्रस्तावित भवन का नक्शा तैयार करता है। उस नक्शे को साकार

रूप देने की जिम्मेदारी इंजीनियरों और मजदूरों के कंधों पर होती है। डिजाइन बनाने के बाद सिविल इंजीनियरिंग का काम शुरू होता है। इसमें निर्माण स्थल का सर्वेक्षण, तकनीकी व वित्तीय पक्ष की जांच-पड़ताल और निर्माण

कार्य की योजना बनाना शामिल है। सिविल इंजीनियरों के लिए स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री जरूरी है। टाउन एंड कंट्री प्लानर जमीन का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करता है। इन सब कार्यों के लिए फील्ड सर्वे और

अध्ययन जरूरी होता है। इसके बाद मॉडल, स्केच या ले-आउट तैयार किया जाता है, जिसके लिए ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर विशेषज्ञता हासिल करना जरूरी है।

इसमें ड्राफ्ट्समैन का काम भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। उसे आम तौर पर आर्किटेक्ट के साथ काम करना होता है। ड्राफ्टमैन इमारतों, सड़कों, पुलों, बांधों आदि का बुनियादी नक्शा तैयार करता है। किसी भी परियोजना के मंजूर होने पर विस्तृत साइट प्लान तैयार करता है।

कौन-सी चीज कहां बनाई जाए, इमारत कितनी मंजिला हो जैसे काम ड्राफ्ट्समैन के हैं। कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में पाठ्यक्रम करने के लिए न्यूनतम योग्यता इंजीनियरिंग/ आर्किटेक्चर की किसी भी शाखा में ग्रेजुएट डिग्री या आर्ट्स, कॉमर्स अथवा साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री होना जरूरी है। इसके अलावा कंपनी सचिवों,

चार्टर्ड अकाउंटेंटों, ग्रेजुएट इंजीनियरों व वास्तुकारों के लिए कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में पाठ्यक्रम पत्राचार माध्यम से भी उपलब्‍ध है।

यहां मिलेंगे जॉब्‍स

रि‍यल एस्टेट से जुड़ी नित नई कंपनियां बाजार में आ रही हैं, जो रियल एस्टेट फायनेंस, इंश्योरेंस, मार्केटिंग, लीगल, प्लानिंग एंड डेवलपमेंट जैसे कार्यों के लिए एक्जीक्यूटिव्स को नियुक्त करती हैं। इन कंपनियों में मैनेजमेंट ट्रेनी, असिस्टेंट मैनेजर, सेल्स एक्जीक्यूटिव्स, लीगल एक्जीक्यूटिव, प्रोजेक्ट कंसल्टेंट के रूप में करियर बना सकते हैं। आधारभूत क्षेत्र अर्थात सड़क, बिजली, बांध, तालाब, नहर आदि क्षेत्रों की विकास परियोजनाओं में प्रोजेक्ट मैनेजर, साइट ऑफिसर, सुपरवाइजर आदि के रूप में उज्जवल भविष्य बनाया जा सकता है।

लोक निर्माण विभाग, डाक व तार, रेलवे, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और सार्वजनिक क्षेत्र के विभागों में रोजगार की उजली संभावनाएं हैं। आर्किटेक्चर व कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में डिप्लोमाधारक निजी क्षेत्रों में भी भाग्य

आजमा सकते हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियों, रियल एस्टेट, डेवलपर फर्मों और निर्माण सलाहकार कंपनियों में योग्य कंस्ट्रक्शन मैनेजरों की भारी मांग है। बैंकिंग और हाउसिंग फाइनेंस सेक्टर में भी कंस्ट्रक्शन मैनेजरों की जरूरत होती है। बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन के पेशेवर लोग अपनी निजी कंपनी भी खोल सकते हैं।

 

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