ऑनलाइन ठगी के मामले में बैंक अधिकारियों पर भी मुकदमा दर्ज कर उन्हें किया जाएगा गिरफ्तार

ऑनलाइन ठगी के मामले में जिस खाते को ठगी की रकम ठिकाने लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, उसके बैंक अधिकारियों पर भी मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। डीजीपी अशोक कुमार ने स्पष्ट कहा है कि संदिग्ध खातों का वैरिफिकेशन बैंक की जिम्मेदारी है।

प्रदेश में बढ़ते साइबर अपराध को डीजीपी अशोक कुमार ने पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती करार दिया। उन्होंने कहा कि साइबर अपराधियों को पकड़ना, थोड़ा मुश्किल होता है। साइबर अपराधी दुनिया में कहीं छिपा हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में देखा जाता है कि पहले संदिग्ध एकाउंट खोला जाता है, फिर इसमें ठगी की रकम ट्रांसफर कर तत्काल ही रकम निकाल ली जाती है। ऐसे ग्राहकों की केवाईसी बैंकों को ठीक से करनी चाहिए।

इसलिए पुलिस इस मामले में संबंधित बैंक अधिकारियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित करेगी। उन्होंने बताया कि साइबर अपराध से निपटने के लिए एसटीएफ को भी साइबर पेट्रोलिंग करने के लिए निर्देश दिए गए हैं। पुलिस खुद साइबर जगत में अपनी उपस्थिति बढ़ाएगी।

डीजीपी से पूछा विवरण

डीजीपी अशोक कुमार ने अपना उदाहरण देते हुए बताया कि एक दिन पहले उनके पास भी एक अपरिचित का फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को गुडगांव से एक बैंक का प्रतिनिधि बताते हुए, उनका कार्ड नंबर मांगा। जिस पर उन्होंने खुद उस व्यक्ति का विवरण पूछकर, उसे लताड़ लगाई। उन्होंने कहा कि लोगों को भी ऐसे मामलों में सतर्क होना होगा, किसी भी तरह की लॉटरी या अन्य लालच में न आएं।

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