ऐसे बनाये बच्चों को समाज के प्रति जिम्मेदार
आजकल यह शिकायत की जाती है कि बच्चे अपने बड़ों की परवाह नहीं करते। उनकी पीढ़ी पर इसका दोष मढ़ दिया जाता है। कोई यह नहीं सोचता कि बच्चों को ऐसे संस्कार ही नहीं दिये जा रहे कि वे बड़ों का सम्मान करें। मुम्बई के कुछ स्कूलों-कॉलेजों ने इस बारे में एक प्रयोग किया। उन्होंने अपने कुछ स्टूडेंट्स को कुछ एनजीओ के जरिये बेसहारा लोगों की मदद के लिए भेजा। इसके काफी सकारात्मक परिणाम सामने आये। कुछ बच्चों ने अनाथ और फुटपाथी बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी ली।
कुछ ने झोपड़पट्टियों में जाकर वहां के लोगों को पढ़ाई और स्वास्थ्य का महत्व समझाया। कुछ ने अनाथालयों और वृद्धाश्रमों में जाकर कुछ वक्त बिताया। ऐसे बच्चे समाज के प्रति ज्यादा जिम्मेदार साबित हुए। ऐसे ही और भी अनेक काम हैं, जो गर्मी की छुट्टियों में बच्चों से कराये जा सकते हैं। ऐसे काम करके बच्चों में नैसर्गिक प्रतिभा पनपती है, आत्मविश्वास बढ़ता है और समाज के प्रति उनका नजरिया बनता है। कोई भी बड़ी मंजिल पाने के लिए एक कदम से ही शुरुआत करनी होता है। बच्चों में इस प्रकार के कामों से संवेदनशीलता आती है और वह समाज के कमजोर वर्गों और गरीबों की सहायता के लिए आगे आयेंगे ओर इस प्रकार भविष्य में बेहतर नागरिक के तौर पर उभरेंगे।