डिजिटल पेमेंट पर लगने वाले शुल्क का बोझ उठाएगी सरकारः अरुण जेटली

नई दिल्लीः सरकार ने डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने और लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में क्रेडिट, डेबिट कार्ड से केंद्र सरकार को किए जाने वाले भुगतान पर लगने वाले एमडीआर शुल्क की भरपाई खुद करने का फैसला किया है। aruntetli

यह एक लाख रुपए तक की राशि पर लागू होगा। एमडीआर शुल्क न लेने पर बैंकों को होने वाले नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार रिजर्व बैंक के जरिए करेगी। वित्त मंत्रालय ने इस आशय का आदेश गुरुवार को जारी कर दिया।

सायबर सुरक्षा की जागरूकता भी जरुरी
दूसरी तरफ वित्त मंत्री अरुण जेतली ने गुरुवार (15 दिसंबर) को कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक डिजिटल भुगतान की लागत कम करने के उपाय कर रहे हैं और सरकार इंटरनेट सेंधमारी के प्रति सुरक्षा की आवश्यकता के प्रति भी जागरूक है। उन्होंने कहा है कि डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित करने का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में नकदी के उपयोग को कम करना है न कि इसे खत्म करना। अपने मंत्रालय से संबद्ध संसदीय सलाहकार समिति की 5वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए हुए जेतली ने कहा कि डिजिटल लेन-देन नकद लेनदेन के समानांतर की एक सुविधा है। यह नकद लेनदेन को प्रतिस्थापित करने वाली नहीं है। सरकार डिजिटल सौदों की सुरक्षा के भी समुचित उपाय कर रही है। साइबर सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं।

एमडीआर चार्जेज का भुगतान केंद्र सरकार करेगी
इससे पहले वित्त मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी करके स्पष्ट कर दिया कि केंद्र की सेवाओं के लिए क्रेडिट या डेबिट कार्ड से भुगतान करने पर लगने वाले एमडीआर चार्जेज का बोझ बैंकों को वहन नहीं करना होगा। बैंकों को इसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी। इसके लिए सरकार बजट में ही अनुदान की मांग के तहत इसका प्रावधान करेगी। बाद में रिजर्व बैंक के जरिए इसका पुनर्भुगतान कर दिया जाएगा।

इसके लिए टैक्स समेत तमाम सरकारी भुगतान प्राप्त करने वाले बैंकों को एमडीआर शुल्क का दावा रिजर्व बैंक को समय-समय पर करते रहना होगा। बजटीय प्रावधान के तहत इसकी राशि रिजर्व बैंक को आवंटित होगी जो बैंकों की मांग के अनुरूप उसका वितरण करेगा।

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