एमआई बिल्डर के मारे और अधिकारियों के सताये को अब भी न्याय की आस

-राघवेन्द्र प्रताप सिंह 
लखनऊ : पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार में नेताओं, भू-माफियाओं और अधिकारियों के गठजोड़ की तमाम किस्से सुने गये, मीडिया और सोशल मीडिया पर उन्हें जगह भी मिली। संभव है यही वजह रही कि भुक्तभोगी जनता ने सपा सरकार को अलविदा कह दिया और विपक्ष में बैठा दिया। लेकिन वहीं इस उम्मीद से ‘कमल’ खिलाया ताकि वह गंदगी को साफ करता रहेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पूर्ववर्ती सरकार में ठगा गया व्यक्ति आज भी न्याय की आस में दर-दर की ठोकरें खा रहा है। यह प्रकरण प्रदेश के किसी दूरदराज इलाके का नहीं बल्कि राजधानी लखनऊ का है जहां पर पूरी सरकार और प्रसाशनिक अमला बैठता है। लेकिन जो पूर्ववर्ती सरकार में ऊंची पहुंच रखते थे उन्हीं का दबदबा वर्तमान सरकार में भी कायम दिखता है। यदि ऐसा नहीं होता तो पीड़ित को अब तक न्याय जरुर मिल जाता क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए यह बात जगजाहिर है कि वह हमेशा न्याय के पक्ष में खड़े दिखते हैं। ऐसा भी नहीं है कि इस प्रकरण में उन्होंने पीड़ित को न्याय दिलाने का प्रयास नहीं किया लेकिन अधिकारियों ने चीजों को ऐसा गोल-गोल घुमाया कि कोई भी चक्कर खाकर गिर जाये।
दरअसल एमआई बिल्डर्स प्रा. लि. कंपनी के प्रबंध निदेषक मोहम्मद कादिर अली ने पहले तो भू-स्वामी राजधानी के मदन मोहन मालवीय मार्ग निवासी धनप्रकाष बुद्धराजा से ‘साम-दाम-दण्ड-भेद’ सारे दांव लगाकर उनकी सुल्तानपुर रोड स्थित 6000 वर्गमी. की भूमि का बिल्डर एग्रीमेंट करा लिया। उसके बाद अली ने लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) एवं उप्र आवास विकास परिषद में अपनी ‘पहुंच’ और ‘धनबल’ का इस्तेमाल करते हुए 31737 वर्गमी. की भूमि न सिर्फ हथिया ली बल्कि उस पर आसानी से नक्सा भी पास करा लिया। दिलचस्प तथ्य यह है कि जिस नक्से को आवास विकास परिषद को पास करना था उसे एलडीए ने पास किया। हालांकि आवास विकास परिषद ने एलडीए को नक्सा पास करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया था लेकिन एलडीए ने अनापत्ति मिलने से 16 महीने पहले ही नक्सा पास कर दिया।
इतना ही नहीं जब कथित बिल्डर एग्रीमेंट पर स्टाम्प शुल्क भी मात्र 6000 वर्गमी. पर ही दिया गया है तब भी एलडीए ने अज्ञात आधार पर 31737 वर्गमी. का नक्सा पास कर दिया। पीड़ित बुद्धराजा ने एलडीए और आवास विकास विभाग सैकड़ों बार जा-जाकर यह शिकायत दर्ज करायी कि जो कुछ हो रहा है वह अनैतिक और नियम विरुद्ध है। लेकिन अधिकारियों ने उनकी एक ना सुनी। यहां तक कि भू सम्पदा विनियामक प्राधिकरण यानि रेरा को भी गलत तथ्य बताये गये। पीड़ित बुद्धराजा के पास सारे साक्ष्य हैं लेकिन उसकी कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है। अपने प्रकरण को लेकर बुद्धराजा ने प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक, केन्द्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार, यूपी के काबीना मंत्री सुरेश खन्ना आदि को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा और हो रही धांधली से अवगत कराया।
इतना ही नहीं थक हार कर बुद्धराजा ने किसी तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी दो बार मुलाकात की। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस प्रकरण में उप्र आवास विकास परिषद, लखनऊ विकास प्राधिकरण तथा रेरा द्वारा एम. आई बिल्डर्स प्रा. लि. को लाभ पहुुंचाने के लिए की जा रही अनियमितताओं को दूर करने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री योगी ने प्रकरण उनके संज्ञान में आने के बाद अधिकारियों को इस बावत निर्देष भी दिए लेकिन अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया उल्टे गलत तथ्यों को परोसने में भी देर नहीं की। पीड़ित बुद्धराजा ने संवाददाता से बातचीत में कहा कि अब उन्हें सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ही आसरा है क्योंकि उन्हें उम्मीद नहीं वरन विश्वास है कि वह उन्हें न्याय दिलायेंगे और घोटालेबाजी करने वालों को सलाखों के पीछे पहुंचायेंगे।

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