उत्तराखंड में जगह-जगह गंदगी का अंबार
देहरादून: गांधी जयंती, प्रधानमंत्री के जन्मदिन या स्वच्छ भारत अभियान के तहत शहरभर में झाड़ू लेकर ‘स्वच्छता का पैगाम’ देने वाले राजनेता और स्वयं सेवी संस्थाओं के चेहरे आजकल गायब हैं। शहर आज गंदगी और कूड़े की भेंट चढ़ा हुआ है लेकिन उपरोक्त में से कोई बाहर निकलने की जहमत नहीं उठा रहा। दिन विशेष पर झाड़ू थामने वाले ये फेसबुकिया और व्हाट्सअप चेहरे आज क्यों झाड़ू नहीं थाम रहे, सवाल सोचनीय है। केवल आर्थिक मदद हासिल करने को दिखावा करने वाले इन ‘चेहरों’ को कर्तव्य का संदेश देने दून की जनता जरूर सड़कों पर उतर आई है।
दो अक्टूबर 2016 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया तो बड़ी संख्या में भाजपा नेताओं व स्वयंसेवी संस्थाओं ने इसमें भागीदारी की। हर साल दो अक्टूबर को यही नजारा शहर में देखने को मिलता है, जब राजनेताओं के साथ सरकारी अमला एवं स्वयंसेवी संस्था के सदस्य हाथ में झाड़ू लेकर सड़कों पर निकलते हैं। पिछले साल सितंबर में राज्य सरकार की ओर से प्रधानमंत्री के जन्मदिन के उपलक्ष्य में स्वच्छता पखवाड़ा मनाकर संदेश दिया तो राज्यपाल, मुख्यमंत्री समेत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, मंत्रियों व विधायकों तक ने हाथ में झाड़ू थामी। उस दौरान कईं स्वयंसेवी संस्थाएं सामने आईं। यही कारण है कि जनता जागरूक भी हुई व जिम्मेदार नागरिकों ने सप्ताह में अपने आसपास क्षेत्र में श्रमदान का जिम्मा संभाला।
आज शहर को ऐसे ही लोगों और संस्थाओं की सबसे ज्यादा जरूरत है तो कोई नहीं दिख रहा। हां अगर कोई आयोजन होता तो जरूर ये संस्थाएं फोटो खिंचाने और उन्हें फेसबुक और व्हाट्सअप पर अपलोड करने के लिए हाजिर हो जाती।
कहां है मैड, वेस्ट वारियर्स और जन-जागरण
स्वच्छता को लेकर सरकार और स्थानीय नगर निकाय को कठघरे में खड़ा करते हुए अक्सर सवाल दागने वाली मैड संस्था इन दिनों कहां है, कोई नहीं जानता। मैड शहर व नदी-नालों में गंदगी को लेकर अक्सर नगर निगम पर जुबानी हमले करती रही है। साथ ही निकाय को आइना दिखाने में मैड ने हर रविवार कूड़ा उठान अभियान चलाने से भी गुरेज नहीं किया। इसका प्रचार कर मीडिया में भी सुर्खियां बटोरी, मगर असल समस्या जब आई, संस्था के सदस्य गायब हो गए। यही हाल वेस्ट वॉरियर्स का भी है। यह संस्था तो बाकायदा नगर निगम के पैनल में है, फिर भी हड़ताल में सफाई को लेकर संस्था ने आगे आना जरूरी ही नहीं समझा। जन-जागरण संस्था भी निगम के जागरूकता अभियान का हिस्सा है, लेकिन संस्था आजकल गुम है।