इस तरह रिश्ते में भी हैं भाई, भगवान राम और भक्त हनुमान

भगवान राम के प्रति भक्त हनुमान के अथाह श्रद्धा भाव से सभी परिचित हैं। इस भक्तिभाव के कारण ही बजरंगबली को भक्त शिरोमणि कहा जाता है। लेकिन श्रीराम और हनुमानजी के बीच केवल भक्त और भगवान का ही नाता नहीं है, उनके बीच भाई का रिश्ता भी है। यहां जानिए, कैसे…इस तरह रिश्ते में भी हैं भाई, भगवान राम और भक्त हनुमान

रामायण में एक कथा है, जो हम सभी ने बचपन में हिंदी की पुस्तक में भी पढ़ी है। इसमें बताया गया है कि राजा दशरथ के तीन रानियां थी। लेकिन संतान न होने कारण राजा अत्यधिक दुखी थे। तब गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से राजा दशरथ ने श्रृंग ऋषि को पुत्रेष्टि यज्ञ करने के लिए आमंत्रित किया। यज्ञ के संपन्न होने पर हवनकुंड से सोने का कटोरा लेकर अग्निदेव प्रकट हुए। स्वर्ण के इस कटोरे में दिव्य खीर भरी हुई थी। अग्निदेव ने राजा दशरथ से कहा ‘राजन, देवता आप पर प्रसन्न हैं। यह दिव्य खीर अपनी रानियों को खिला दीजिए, इससे आपको 4 पुत्रों की प्राप्ति होगी।’ इतना कहकर अग्निदेव अंतर्ध्यान हो गए।

राजा दशरथ ने खीर सबसे पहले महारानी कौशल्या को दी उसके बाद सुमित्रा और कैकयी को। सबसे अंत में प्रसाद मिलने के कारण देवी कैकयी ने क्रोधित होकर राजा दशरथ को कठोर शब्द कहे। उसी समय भगवान शंकर के प्रेरणा से एक चील वहां आई और कैकेयी की हथेली से प्रसाद उठाकर अंजन पर्वत की तरफ ले गई। अंजन पर्वत पर माता अंजनी तपस्या में लीन थीं। चील ने प्रसाद का कटोरा लेजाकर अंजनी देवी के हाथ पर रख दिया। इस प्रसाद को ग्रहण करने से देवी अंजनी भी राजा दशरथ की तीनों रानियों की तरह गर्भवती हुईं।

फिर राजा दशरथ के घर 4 पुत्रों राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न ने जन्म लिया और देवी अंजनी के गर्भ से वीर हनुमान जन्मे। एक ही खीर से जन्म के कारण इनका इन दोनों के बीच भाई का रिश्ता माना जाता है। माना जाता है कि जब राम भगवान सीता माता की खोज में बनों में भटक रहे थे, तब हनुमान भगवान से उनकी प्रथम भेंट हुई। जबकि भगवान राम और हनुमान बचपन में साथ खेले हैं। कथा के अनुसार, भगवान शिव राम रूप में जन्मे भगवान विष्णु के अवतार के बाल स्वरूप के दर्शन करने अयोध्या आए। भगवान शिव मंदारी के रूप में आए थे और साथ में अपने रुद्रावतार भगवान हनुमान को वानर रूप में लेकर अयोध्या आए। तब भगवान राम और हनुमान ने साथ में बाल क्रीणाएं कीं। जब राम भगवान शिक्षा ग्रहण करने गुरुकुल गए तब भगवान शिव बाल हनुमान के साथ अयोध्या से लौट गए।

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