इस गर्मी की छुट्टियो में परिवार के साथ समय बिताने के लिए है जरुर जाएं सिलवासा…

दादरा और नगर हवेली पश्चिमी भारत में एक केंद्र शासित प्रदेश है। यह दो अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों से मिलकर बना है। नगर हवेली महाराष्ट्र और गुजरात के बीच स्थित है और उत्तर-पश्चिम में 1 किलोमीटर, दादरा का छोटा एंक्लेव है, जो गुजरात से घिरा हुआ है। दादरा और नगर हवेली की राजधानी है सिलवासा। इतिहास कहता है कि 19वीं शताब्दी तक सिलवासा एक गुमनाम स्थान था लेकिन पुर्तगाल शासन द्वारा 1885 में इसे राज्य की राजधानी बनाने के बाद यह दुनियाभर के आकर्षण का केंद्र बन गया। सिलवासा में आप कहां-कहां घूम सकते हैं, यहां देखें…इस गर्मी की छुट्टियो में परिवार के साथ समय बिताने के लिए है जरुर जाएं सिलवासा...

रोमन कैथोलिक चर्च
दादरा और नगर हवेली क्षेत्र पर लंबे समय तक पुर्तगालियों का शासन रहा है। यही वजह है कि यहां आज भी पुर्तगाली जीवन शैली और कला संस्कृति देखने को मिलती है। सिलवासा में स्थित रोमन कैथोलिक चर्च की वास्तुकला में पुर्तगाली शैली का प्रभाव है। यहां का वातावरण आपका दिल जीत लेगा।

रोमन कैथोलिक चर्च

ऐसा जो कहीं और न मिले
दादरा और नगर हवेली कुछ ऐसा आपको देखने को मिलेगा, जो कहीं और शायद ही मिले। यह खास चीज है, यहां की जनजातियां। इन जनजातियों ने अपनी कला, परंपरा और संस्कृति को संभालकर रखा है। यहां का आदिवासी संग्राहलय आपको मानव जीवन के प्राथमिक विकास की झलकियां दिखाएगा।

वसोना लॉयन सफारी
अगर आप प्रकृति की सैर करना चाहते हैं और वन्य जीवों के बीच अपना समय बिताना चाहते हैं तो आप वसोना लॉयन सफारी का लुत्फ उठा सकते हैं। यह अभयारण्य सिलवासा से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां आपको गुजरात के गिर जंगलों के शेर देखने को मिलेंगे।

वानगंगा झील
सिलवासा से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मधुबन बांध। यह दामिनी नदी पर बना है। यहां बहुत से वॉटर गेम्स की व्यवस्था है। आप राफ्टिंग का मजा भी ले सकते हैं। यहां आपको एक और खूबसूरत लोकेशन घूमने को मिलेगी, जो कई बॉलिवुड सॉन्ग्स में आपने देखी होगी। यह है सिलवासा के पास स्थित वानगंगा झील।

खानवेल है प्रकृति का घर
अगर आप कुटिया में रहना चाहते हैं। पहाड़ियों पर बने ऊंचे-नीचे कॉटेज और छोटे-बड़े खेतों में समय बिताना चाहते हैं तो खानवेल आपके लिए सबसे उचित स्थान है। यह सिलवासा से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां के घुमावदार रास्तों का सफर आपको रोमांच से भर देगा।

सतमालिया डीअर पार्क
हर प्रकृति प्रेमी को जानवरों से प्यार होता है। खासतौर पर हिरण से। अलग-अलग प्रजातियों के हिरण देखने के लिए सतमालिया डीअर पार्क परफेक्ट प्लेस है। यहां एक आदिवासी गांव भी स्थित है। जिसकी आप बेफिक्र होकर सैर कर सकते हैं। ये आदिवासी किसी को कष्ट नहीं पहुंचाते। एक अजब संयोग जो आप यहां देखेंगे, वह है वृंदावन नाम के मंदिर में भगवान शिव की पूजा होना! जी हां, वृंदावन सुनते ही हमारे जेहन में श्रीकृष्ण की मूरत उभर आती है लेकिन यहां इस नाम के मंदिर में त्रिकालदर्शी की पूजा होती है।

कैसे पहुंचें?
सिलवासा भीड़भाड़ से भले ही दूर है। लेकिन यहां देश के बड़े शहरों से कनेक्टिविटी बहुत अच्छी है। यहां रेल और हवाई यात्रा के साथ ही आप सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं। बच्चों के एग्जाम के बाद सिलवासा घूमने जाना बहुत अच्छा ऑप्शन होगा। क्योंकि सिलवासा घूमने के लिए बेस्ट टाइम मई से लेकर नवंबर के बीच होता है।

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