इस काव्य रचना के 43 वें श्लोक में धन की तीन गतियां बताई गई हैं यहां जानें श्लोक..

 आचार्य चाणक्य की मानें तो धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों में धन का दान महादान कहलाता है। बैंक बैलेंस बढ़ाने के लिए धार्मिक कार्यों में अपनी कमाई का कुछ हिस्सा जरूर दान करें। धार्मिक कार्यों में धन दान करते समय कंजूसी बिल्कुल न करें।

संस्कृत के महान कवि भतृहरि ने अपनी काव्य रचना नीति श्लोक में धन का वर्णन किया है। इस काव्य रचना के 43 वें श्लोक में धन की तीन गतियां बताई गई हैं। श्लोक निम्न है-

दानं भोगो नाशस्तिस्रो गतयः भवन्ति वित्तस्य ।

यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति॥

इस श्लोक में कवि भतृहरि कहते हैं कि धन की तीन गतियां हैं जो क्रमशः दान, भोग और नाश हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने धन का न भोग करता है और न दान करता है। उसके धन का नाश अवश्य होता है। इसके लिए अपनी कमाई का कुछ हिस्सा जरूर दान करें। खासकर, अन्न और जल दान बहुत जरूरी है। आचार्य चाणक्य ने भी धन दान के महत्व के बारे में विस्तार से बताया है। अगर आप भी बैंक बैलेंस को बढ़ाना चाहते हैं, तो इन जगहों पर धन दान करने में कंजूसी न करें। आइए जानते हैं-

-आचार्य चाणक्य की मानें तो धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों में धन का दान महादान कहलाता है। बैंक बैलेंस बढ़ाने के लिए धार्मिक कार्यों में अपनी कमाई का कुछ हिस्सा जरूर दान करें। धार्मिक कार्यों में धन दान करते समय कंजूसी बिल्कुल न करें। इस दान का लाभ अगले जन्म तक प्राप्त होता है। साथ ही देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं। साथ ही घर में धन का अभाव नहीं होता है।

-अगर आप चाहते हैं कि आपकी तिजोरी हमेशा भरी रहें, तो समाजिक कार्यों में भी कमाई का कुछ हिस्सा दान करें। इससे मान-सम्मान में वृद्धि होती है। साथ ही पद प्रतिष्‍ठा में भी बढ़ोत्तरी होती है। इसके अलावा, जरूरतमंदों की मदद करने से भगवान भी प्रसन्न होते हैं। इसके लिए समाजिक कार्यों के लिए धन का दान जरूर करें।

-अगर आप भी अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि पाना चाहते हैं, तो जरूरतमंदों को जरूर मदद करें। आप जरूरतमंदों को अन्न दान दें। वहीं, गरीब वर्ग के बच्चों की शिक्षा पर जरूर धन व्यय करें। आप असहाय लोगों की मदद करेंगे, तो ईश्वर आपकी मदद करेंगे। जरूरतमंदों पर धन का दान करने से बैंक बैलेंस बढ़ता है।

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