इन दो रंगों के कपड़े पहनकर कभी ना करनी चाहिए पूजा, वर्ना रुष्ठ हो जाते हैं देव

पूजा-पाठ का महत्व तो सभी जानते हैं और लोग अपनी श्रद्धानुसार अपने इष्टदेव की पूजा-अर्चना करते भी हैं, पर बहुत से लोगों को पूजा से सम्बंधी जरूरी नियम नहीं पता होते हैं। दरअसल शास्त्रों में रोज की पूजापाठ में क्या किया जाना चाहिए और क्या नहीं, इससे जुड़े कई नियम बताए गए हैं जो कि अधिकांश लोगों को नहीं पता होते हैं, जबकि शास्त्रों की माने तो पूजा के दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, अन्यथा आपके द्वारा की गई पूजा स्वीकार्य नहीं होती । आज हम आपको पूजा से सम्बंधी ऐसे ही कुछ सावधानियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है..इन दो रंगों के कपड़े पहनकर कभी ना करनी चाहिए पूजा, वर्ना रुष्ठ हो जाते हैं देव

शास्त्रों में दैनिक जीवन के हर क्रियाकलाप के बारे में उचित दिशा-निर्देश दिए गए है, ऐसे ही पूजा के लिए भी कुछ जरूरी बाते बताई गई हैं। पूजा तो वैसे ही अपने आप में एक बेहद महत्वपूर्ण है, ये सांसरिक कर्मों से अलग मनुष्य का ईश्वर से सम्पर्क का माध्यम है, ऐसे में अगर इसे करते समय उचित सावधानी ना बरती जाए तो फिर किसी योग्य रह जाता है आप समझ सकते हैं। ऐसे में शास्त्र का मार्गदर्शन लेना हमारे लिए हितकर होता है।

दरअसल वराहपुराण में स्वयं वराह भगवान ने पूजा के सम्बंधी जरूरी नियमों और निषेध कार्यों के बारे में बताया है। पौराणिक मान्यताओं में भगवान वराह, भगवान विष्णु के दशावतार में तीसरे अवतार माने गये हैं जिनका अवतरण हिरण्याक्ष नाम के राक्षस को मारने के लिए हुआ था। वराहपुराण में श्रीहरि के वराह अवतार की मुख्य कथा के साथ तीर्थ, व्रत, यज्ञ, दान आदि से जुड़े नियमों का वर्णन किया गया है। वराहपुराण में 217 अध्याय और लगभग दस हज़ार श्लोक हैं, जिनमें भगवान वराह के धर्मोपदेश कथाओं के रूप में प्रस्तुत किए गए हैं। इन्ही उपदेशों में पूजा से जुड़े कुछ जरूरी नियम भी हैं, जहां भगवान वराह ने पूजा से जुड़े ऐसे दस निषेध काम बताए है, जिन्हें पूजा के दौरान करने पर व्यक्ति को पाप का हिस्सेदार बनना पड़ता है.. जैसे कि..

वराहपुराण के अनुसार के दौरान कोई नीले या काले कपड़े पहनता है तो वो पूजा नहीं है।

वराहपुराण में वर्णित भगवान वराह के उपदेशानुसार, ‘अपराध करके अर्जित धन से मेरी सेवा या उपासना करना पूजा नहीं, बल्कि अपराध है’।

शव को स्पर्श करने के बाद, बिना स्नान किए पूजा करना मुझे स्वीकार्य नहीं है।

संभोग करके बिना स्नान किए मेरा पूजन करना भी एक अपराध है।

अगर गुस्सा करके मेरी उपासना करता है तो ऐसी पूजा मुझे स्वीकार्य नहीं है।

वराहपुराण के अनुसार अंधेरे में भगवान की मूर्ति या तस्वीर को स्पर्श करना और पूजा करना दोनों ही भागवत अपराध है।

घंटी-शंख आदि की आवाज किए पूजा करना भी मुझे स्वीकार्य नहीं है।

अगर कोई पूजा से पहले या बाद बेअर्थ की बातें और बकवास करता है, तो उसकी पूजा को मैं स्वीकार नहीं करता हूं।

अगर कोई खाकर बिना कुल्ला किए पूजा करता है, तो उसकी पूजा स्वीकार नहीं होती।

दीपक का स्पर्श कर बिना हाथ धोए मेरी उपासना करता है, तो मैं उसकी पूजा को स्वीकार नहीं करता हूं

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