आज़ादी के बाद रूपये में ऐतिहासिक गिरावट, रुपया 74 के पार, क्या अब PM की गरिमा नहीं गिर रही है?

पिछले लोकसभा चुनावों में गिरते रूपये की तुलना प्रधानमंत्री मनमोहन की गरिमा से की जाती थी। तब हालाकिं रूपया डॉलर के मुकाबले 65 रु हुआ करता था, अब रुपये ने ऐतिहासिक रिकॉर्ड कायम किया है।
डॉलर की तुलना में रूपया 74.10रु पहुंच चुका है। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने इसी दौरान रेपो रेट की घोषणा कर दी है।

Rupee crosses 74 against US Dollar; now at 74.10 pic.twitter.com/gPZTgSkI8s
— ANI (@ANI) October 5, 2018

दरअसल इससे पहले गुरुवार को एक डॉलर के मुकाबले रुपया गिरावट के साथ बंद हुआ था और 73 रूपये डॉलर के आकड़े पार कर चुका था। डॉलर और रुपये की तुलना करने वाले इसकी घोषणा पहले ही कर चुके है कि मौजूदा हालातों को देखते हुए रुपये 75 का आकड़ा पार कर सकता।
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विशेषज्ञों की माने तो रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया इस बार ब्याज दारों में 0.25% वृद्धि कर सकता है। इस वृद्धि की आशंका गिरते रुपयों और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें वजह बताई जा रही है।
इस पूरे मामले पर सरकार का रवैया काफी लचर नज़र आ रहा है और अभी तक सरकार की तरफ से कोई मजबूत कदम नहीं उठाए गए है।
हालाकिं रिज़र्व बैंक ने फिलहाल दरों में कोई बदलाव नहीं किया, रेपोरेट  6.50% पर बरकरार रखा है, और रिज़र्व रेपो रेत 6.25% पर बरकरार रखा हैl
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वही आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा रुपये कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए का मूल्यह्रास अन्य मुद्राओं की तुलना में अपेक्षाकृत मामूली रहा है।

Depreciation of Rupee against US Dollar has been comparatively moderate in comparison to currencies of other EMEs (emerging markets economies): RBI Governor Urjit Patel pic.twitter.com/Xrd8zg4V9Q
— ANI (@ANI) October 5, 2018

क्या होता रिज़र्व रेपो रेट और रेपो रेट ?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन  देते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे। जैसे कि होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह।
और रेपो रेट से उलट होता है। यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है।
बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकमे उसके पास जमा करा दे।
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