आतंकी अजहर के लिए चीन सुरक्षा कवच बनकर आगे आया

नई दिल्ली। एक बार फिर आतंकी अजहर मसूद के लिए चीन सुरक्षा कवच बनकर आगे आया और वह वैश्विक आंतकी बनने से बच गया। इससे पहले यह उम्मीद जताई जा रही थी कि इस बार अजहर मसूद पर लगाम लग जाएगी, लेकिन भारत की उम्मीदों और दुनिया के बड़े देशों के प्रयासों पर चीन ने पानी फेर दिया।
यह चौथा मौका है जब चीन ने आतंकी अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी होने से बचाया है। चीन के वीटो के बाद यह साफ हो गया कि अजहर मसूद अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित नहीं होगा। और यूएन में मसूद अजहर के खिलाफ प्रस्ताव रद्द कर दिया गया।

Sources: More than 10 countries had supported India’s bid to designate JeM Chief Masood Azhar as a global terrorist in the United Nations Security Council 1267 list, as co-sponsors. pic.twitter.com/9Frd5LUEBJ
— ANI (@ANI) March 13, 2019

अमेरिका ने बुधवार को चीन की तरफ इशारा करते हुए यहां तक कहा था किअजहर मसूद पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कामयाब नहीं हुई तो इससे क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पहुंचेगा। मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने संयुक्त राष्ट्र की 1267 समिति के तहत प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया था। यह प्रतिबंध तभी लागू हो सकता था जब पांचों स्थायी सदस्य और दस अस्थायी सदस्य इसका समर्थन करते।
विगत में चार बार चीन की तरफ से इस प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग की जा चुकी है। इस बार भी चीन के तेवर कुछ ऐसे ही दिखे। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि इस मामले का समाधान इस तरह निकलना चाहिए जिससे सभी पक्षों को संतुष्टि हो।
वैसे चीन ने यह शर्त भी लगा दी थी कि 1267 समिति के सभी नियमों का पालन किया जाना चाहिए। जाहिर है कि पूर्व की तरह इस बार भी चीन अपने मित्र देश पाकिस्तान की मदद करने के लिए प्रस्ताव का विरोध करके मौलाना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचा लिया।
इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि जैश-ए-मुहम्मद और मौलाना मसूद अजहर को लेकर हमारे विचार सभी को पता हैं। जैश-ए-मुहम्मद संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंधित आतंकी संगठन है और मसूद अजहर पर भी संयुक्त राष्ट्र का प्रतिबंध लागू होना चाहिए।
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जैश कई आतंकी वारदातों के लिए जिम्मेदार है और यह क्षेत्रीय शांति के लिए भी खतरा है। जहां तक चीन का सवाल है तो अमेरिका उसके साथ स्थायित्व और शांति के सामूहिक उद्देश्य के लिए साथ मिलकर काम कर रहा है। मसूद अजहर पर इस तरह का प्रतिबंध नहीं लगता है तो यह हमारे सामूहिक उद्देश्यों के खिलाफ होगा।
संयुक्त राष्ट्र में जैश सरगना के मामले में अमेरिका का यह संभवत: अभी तक का सबसे कड़ा संदेश है। वैसे जानकारों की मानें तो अजहर पर प्रतिबंध लगने के बावजूद पाकिस्तान में आतंकवाद को लेकर जमीनी हालात में बहुत बदलाव नहीं आने वाला था।
रणनीतिक मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी का कहना है, ‘अमेरिका ने हाफिज सईद पर 2012 में प्रतिबंध लगवाया और उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम भी घोषित किया, लेकिन अभी भी वह पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा है और भारत में आतंकी हमले करवाने की साजिश रच रहा है।’
वैसे तो दुनियाभर के देश इस आतंकी मसूद अजहर की हरकतों से बखूबी वाकिफ है, लेकिन पुलवामा हमले के बाद इस आतंकी पर लगान लगाने के लिए रसूखदार मुल्क आगे आए हैं और इस बात की संभावना जताई जा रही थी कि आतंकी अजहर पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से सख्त फैसला जल्द आएगा।
 

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